मनीष सिसोदिया के लिए जंगपुरा सीट महाभारत के चक्रव्यूह से कम नहीं, क्या अभिमन्यु के जैसा होगा हाल?

मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी रणनीति बदलते हुए पटपड़गंज सीट को छोड़कर अब जंगपुरा से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. पटपड़गंज सीट से पिछला चुनाव उन्होंने बड़ी मुश्किल से जीता था और अगर इस बार भी वही सीट चुनी होती, तो हार का खतरा भी हो सकता था.

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Kamal Kumar Mishra

Delhi Election: मनीष सिसोदिया पिछले 10 सालों से पटपड़गंज से विधायक थे, लेकिन अपनी क्षेत्र की मुख्य सड़क, जिसे मदर डेयरी रोड कहा जाता है, की हालत सुधारने में नाकाम रहे. अब जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी, क्योंकि यहां की राजनीतिक स्थिति उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है. 

सीनियर पत्रकार विवेक शुक्ला ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि सिसोदिया को जंगपुरा सीट से चुनाव लडने के लिए एक 'विश्वसनीय' व्यक्ति ने निजामुद्दीन की तरफ रुख करने की सलाह दी है. जंगपुरा से कांग्रेस की तरफ से फरहद सूरी और भाजपा की ओर से तरविंदर सिंह मारवाह चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. मारवाह, जो पहले कांग्रेस में थे, अब भाजपा से जुड़े हुए हैं और उनके बेटे नगर निगम के सदस्य हैं. फरहद सूरी का जंगपुरा में मजबूत जनाधार है. वह दिल्ली के मेयर भी रह चुके हैं. 

अपने फायदे के लिए कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी

फरहद सूरी और मारवाह दोनों की छवि दिल्ली में काफी मजबूत है. सूरी ने कांग्रेस को कभी नहीं छोड़ा, जबकि कई नेता पार्टी को छोटे फायदे के लिए छोड़ते रहे. पिछली बार उन्होंने दिल्ली नगर निगम चुनाव दरियागंज सीट से लड़ा था, हालांकि 200-250 वोटों के अंतर से हार गए थे. दरियागंज, जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है और उनकी मां ताजदार बाबर भी कांग्रेस की चार बार बाराखंभा सीट से विधायक रह चुकी थीं. 

अगर कांग्रेस ने फरहद सूरी और भाजपा ने मारवाह को टिकट दिया, तो जंगपुरा सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाएगा. यह सीट पूरी दिल्ली की निगाहों में होगी. सिसोदिया को जंगपुरा से जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. 

सिसोदिया अक्सर निजामुद्दीन दरगाह का करते हैं दौरा

हाल ही में, निजामुद्दीन के एक करीबी दोस्त शेख जिलानी ने कहा था कि सिसोदिया जंगपुरा से चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि वे अक्सर निजामुद्दीन दरगाह का दौरा कर रहे थे. दरअसल, दिल्ली में दंगे भड़कने के दौरान कुछ लोग उनसे मिले थे और दंगे रोकने की अपील की थी, लेकिन सिसोदिया ने साफ कह दिया था कि यह उनके बस की बात नहीं है. 

अन्य पार्टियों के नेताओं के शामिल होने पर सवाल

इसके अलावा, केजरीवाल का विश्वास है कि उनकी पार्टी दिल्ली में फिर से सत्ता में आएगी. हालांकि, सवाल यह है कि जब वे भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को थोक में अपनी पार्टी में शामिल कर रहे हैं, तो क्या यह वास्तव में उनकी राजनीति के लिए सही कदम है?