Manipur Violence Mobile Internet Ban Lifted After 7 Months: मणिपुर सरकार ने रविवार को सात महीनों के बाद हिंसा प्रभावित राज्य के कई जिलों से मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर लगे बैन को हटा दिया है. हालांकि राज्य के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में अभी भी मोबाइल इंटरनेट पर बैन लगा हुआ है.
जानकारी के अनुसार, पूर्वोत्तर क्षेत्र में दो आदिवासी समुदायों मैतेई और कुकी के बीच जातीय संघर्ष शुरू हो गया था. इसके कारण पूरे मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं 3 मई से निलंबित थीं. बताया गया है कि मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को 23 सितंबर को कुछ समय के लिए हटाया गया था, लेकिन 26 सितंबर को इसे फिर से लागू कर दिया गया था, ताकि सोशल मीडिया पर भड़काऊ और नफरत भरे वीडियो या मैसेज वायरल नहीं हो सकें और राज्य में कानून-व्यवस्था फिर से खराब न हो.
मणिपुर के आयुक्त (गृह) टी रणजीत सिंह की ओर से जारी एक नोटिस में कहा गया है कि राज्य में फिलहाल कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार है. वहीं मोबाइल इंटरनेट बैन से आम लोगों को दिक्कत हो रही थी. लिहाजा प्रदेश सरकार ने इंटरनेट पर लगे बैन को वापस लेने का फैसला लिया है.
नोटिस के अनुसार चुराचांदपुर, बिष्णुपुर, चुराचांदपुर काकचिंग, कांगपोकपी, इंफाल पश्चिम, कांगपोकपी, इंफाल पूर्व, कांगपोकपी, थौबल, टेंग्नौपाल और काकचिंग के बीच के 2 किमी के दायरे में मोबाइल टावरों की सेवाओं को छोड़कर पूरे राज्य में बैन हटा दिया जाएगा.
बता दें कि इन जिलों के क्षेत्रों में या तो मेइतेई या कुकी समुदाय के लोगों का प्रभुत्व है. पिछले सात महीनों में यहां अधिकांश हिंसा, गोलीबारी, आगजनी और अपहरण की वारददातें हुईं. मणिपुर में हिंसा में अब तक 182 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 50,000 से ज्यादा लोग यहां से विस्थापित हुए हैं. याद रहे कि हाल ही में केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से राज्य के सबसे पुराने उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फोर्स (यूएनएलएफ) के साथ नई दिल्ली में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के चार दिन बाद निलंबन हटाया गया.