Manipur Violence firing incident in Tengnoupal: मणिपुर में तेंगनुपाल जिले में गोलीबारी की घटना हुई है. घटना में 14 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है. स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, सोमवार दोपहर में हुई फायरिंग की घटना के बाद असम राइफल्स ने इलाके में ऑपरेशन शुरू किया. ऑपरेशन के बाद तेंगनुपाल जिले में 14 शव बरामद किए गए.
अधिकारी के मुताबिक, असम राइफल्स के जवान जब घटनास्थल पर पहुंचे, तो उन्हें लीथू गांव में 14 शव मिले. असम राइफल्स के जवानों ने वहां सर्च अभियान चलाया, लेकिन कोई हथियार नहीं मिला. सभी शवों पर गोलियों के निशान पाए गए.
उधर, सूत्रों के मुताबिक, सभी मृतक स्थानीय नहीं लग रहे थे. आशंका जताई जा रही है कि ये सभी कहीं और से आए होंगे, जिसके बाद दूसरे समूह के लोगों ने गोलीबारी कर इनकी हत्या कर दी. फिलहाल, मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है.
मणिपुर सरकार ने रविवार को कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में 18 दिसंबर तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दीं. अधिसूचना में कहा गया है कि कानून-व्यवस्था में सुधार और मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध के कारण लोगों को होने वाली असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने इंटरनेट बैन में ढील देने का फैसला किया है.
जानकारी के मुताबिक, चंदेल और काकचिंग, चुराचांदपुर और बिष्णुपुर, चुराचांदपुर और काकचिंग, कांगपोकपी और इंफाल पश्चिम, कांगपोकपी और इंफाल पूर्व, कांगपोकपी और थौबल और तेंगनौपाल और काकचिंग जैसे जिलों के बीच 2 किमी के दायरे में इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने वाले मोबाइल टावर अभी भी सस्पेंड रहेंगे.
बता दें कि राज्य में हिंसा भड़कने के बाद 3 मई से राज्य में मोबाइल इंटरनेट निलंबित कर दिया गया था. मई में पहली बार जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से मणिपुर बार-बार होने वाली हिंसा की चपेट में है. तब से अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
झड़पें कई शिकायतों को लेकर हुई हैं जो दोनों पक्षों के पास एक दूसरे के खिलाफ हैं. हालांकि, संघर्ष का मुख्य बिंदु मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का कदम रहा है, जिसे बाद में वापस ले लिया गया.
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, उनकी संख्या 40 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
मणिपुर में मैतेई की संख्या ज्यादा होने के बावजूद ये सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. ये पहाड़ी इलाकों में न तो बस सकते हैं और न ही जमीन खरीद सकते हैं.
वहीं, पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय रहते हैं. मणिपुर में मौजूद कानून के मुताबिक, नगा और कुकी समुदाय पहाड़ी के अलावा घाटी में भी रह सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. संघर्ष इसी बात को लेकर है कि आखिर ज्यादा संख्या होने के बावजूद मैतेई सिर्फ घाटी में ही क्यों रह सकते हैं, जबकि नगा और कुकी के लिए नियम अलग है.