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Manipur Violence: सीबीआई के पास नहीं भेजे गए मामलों की जांच करेंगी SIT की 42 टीमें- सुप्रीम कोर्ट

Manipur Violence: पिछले तीन महीनों से ज्यादा समय से जातीय हिंसा को लेकर मणिपुर में हिंसा जारी है. इस हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Manipur Violence: सीबीआई के पास नहीं भेजे गए मामलों की जांच करेंगी SIT की 42 टीमें- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह यह आदेश पारित करने का प्रस्ताव करता है कि मणिपुर हिंसा से संबंधित जिन मामलों को सीबीआई को ट्रांसफर नहीं किया गया है, उन केसों को एसआईटी (SIT) की 42 टीमें देखेंगी.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि मणिपुर हिंसा से संबंधित मामलों को सीबीआई को भेजा गया है, लेकिन कानून में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए यह निर्देश देने का प्रस्ताव है कि सीबीआई की टीम में विभिन्न राज्यों से डिप्टी एसपी रैंक के पांच अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये अधिकारी जांच के दौरान पूरी निगरानी रखेंगे और जिन केसों को सीबीआई को नहीं सौंपा गया है उन्हें एसआईटी की 42 टीमें देखेंगी.

पहले से ही मामलों की जांच कर रही है एसआईटी

बता दें कि सीबीआई के पास जो मामले नहीं भेजे गए हैं, उन्हें पहले से ही एसआईटी देख रही है और एसआईटी की इस टीम को डीआईजी रैंक के 6 अधिकारी देख रहे हैं जोकि मणिपुर से बाहर के हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाई कोर्ट के तीन पूर्व जजों की कमेटी नियुक्त करने पर विचार कर रही है जो मणिपुर में राहत, स्वास्थ्य सुविधाएं, मुआवजा और पुनर्वास की जांच करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि पूर्व तीन जजों की इस कमेटी की अगुवाई जस्टिस गीता मित्तल करेंगी, उनके अलावा जस्टिस शालिनी जोशी और जस्टिस आशा मेनन भी इस कमेटी का हिस्सा होंगी.

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि आईपीएस अधिकारी सीबीआई की जांच की निगरानी करेंगे. मुंबई के पूर्व पुलिस युक्त दत्तात्रेय पडसलगीकर इस मामले की समग्र निगरानी करेंगे. इसी बीच मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश हुए.

मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत

गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों से ज्यादा समय से जातीय हिंसा को लेकर मणिपुर में हिंसा जारी है. इस हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.

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