Manipur News: जातीय हिंसा से जूझने वाले मणिपुर ने केंद्रीय बजट से पहले केंद्र सरकार से खास डिमांड की है. एन बीरेन सिंह सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बजट से निर्धारित 10% अतिरिक्त धनराशि की मांग की है. साथ ही, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक स्पेशल प्रोजेक्ट के रूप में हिंसा प्रभावित पीड़ितों के लिए 5000 घरों की भी मांग की गई है. साथ ही, सुरक्षा संबंधी खर्च के लिए आवंटन में वृद्धि की मांग की गई है, जो जातीय हिंसा के मद्देनजर काफी बढ़ गया है.
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राज्यों और केंद्र के बीच बजट-पूर्व बैठक के दौरान इन मुद्दों को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाया गया था. पता चला है कि बुनियादी ढांचे, खासकर हिंसा में क्षतिग्रस्त हुए घरों का पुनर्निर्माण, राज्य की प्रमुख मांगों में से एक है. मणिपुर ने इसे PM आवास योजना के तहत एक स्पेशल प्रोजेक्ट के रूप में लागू करने पर जोर दिया है. राज्य इसके लिए गृह मंत्रालय के संपर्क में भी है और इस जरूरत को पूरा करने के लिए केंद्रीय बजट में फंड की मांग की है.
मणिपुर की ओर से की गई अन्य मांगों में प्रोफेशनल टैक्स की ऊपरी सीमा को 2,500 रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति वर्ष करना, पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना जारी रखना शामिल है, ताकि राज्य को संसाधन की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पूंजीगत व्यय को पूरा करने में मदद मिल सके. इसने इस योजना के तहत जारी किए गए फंड के उपयोग के लिए समयसीमा को एक बार की छूट के रूप में 31 जुलाई तक बढ़ाने की भी मांग की है, जिसमें राज्य में अशांति का हवाला दिया गया है, जिससे माल और लोगों की आवाजाही प्रभावित हो रही है.
जुलाई के चौथे सप्ताह में आने वाला केंद्रीय बजट, हिंसा भड़कने के बाद पहला पूर्ण बजट होगा. इसे देखते हुए मणिपुर पहले से ही कई प्रस्तावों का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में है, जिन्हें आजीविका सृजन समेत पुनर्वास प्रयासों के लिए मौजूदा योजनाओं के तहत विभिन्न केंद्रीय सरकारी मंत्रालयों को भेजा जाएगा. इसके लिए, मणिपुर ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए निर्धारित 10% सकल बजटीय सहायता से परे, विभिन्न योजनाओं के तहत अपने लिए बढ़ा हुआ आवंटन मांगा है.
अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर ने सुरक्षा व्यय पर खर्च की गई धनराशि की भी जल्द से जल्द मांग की है, क्योंकि पिछले वित्तीय वर्ष से ये राशि काफी बढ़ गई है और इससे राज्य की वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ रहा है. अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा संबंधी व्यय के साथ-साथ स्वीकृत राहत पैकेजों की एक बड़ी राशि अभी भी केंद्र से मंजूरी के लिए लंबित है. राज्य की ओर से किए गए खर्च के सटीक आंकड़ों का खुलासा किए बिना, उन्होंने कहा कि मणिपुर ने आगामी बजट में दोनों के लिए अतिरिक्त धनराशि की मांग की है.
बताया जा रहा है कि राज्य ने ये भी कहा है कि पिछले महीने ओलावृष्टि के कारण 40,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए थे, साथ ही चक्रवात रेमल के कारण बाढ़ भी आई थी. राज्य ने इन प्राकृतिक आपदाओं के बाद राहत पैकेज के लिए बजट में पर्याप्त धनराशि की मांग की है.
अधिकारियों ने कहा कि केंद्र ने 'आर्थिक नुकसान और वसूली' के लिए विशेष अनुदान, समय पर धनराशि जारी करने, केंद्र प्रायोजित योजनाओं से संबंधित समयसीमा में छूट के माध्यम से मणिपुर को काफी सहायता प्रदान की है. इस वर्ष की शुरुआत में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य में सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों के कारण कर राजस्व में हुई हानि का हवाला देते हुए विशेष मामले के रूप में केंद्र से 2,000 करोड़ रुपये का वित्तीय अनुदान मांगा था.