कांग्रेस के दिग्गज वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर के एक वीडियो बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. अय्यर ने राजीव गांधी के बारे में कुछ ऐसा बयान दे दिया है जिसपर अब चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है. उन्होंने सीधे तौर पर यह सवाल उठा दिया कि जो व्यक्ति दो बार फेल हो सकता है वह देश का पीएम कैसे बन सकता है. भारतीय जनता पार्टी के आईटी हेड अमित मालवीय ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इस वीडियो को शेयर किया है.
वायरल हो रहा मणिशंकर अय्यर का वीडियो हो रहा वायरल
मणिशंकर अय्य इंटरव्यू में यह दावा किया कि राजीव गांधी ने अपनी शिक्षा में दो बार असफलता का सामना किया था. उन्होंने बताया कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने सोचा कि एक ऐसा व्यक्ति जो एक एयरलाइन पायलट था और जिसने कैम्ब्रिज और इंपीरियल कॉलेज, लंदन में दो बार परीक्षा में फेल हुआ वह कैसे देश के प्रधानमंत्री बन सकता है.
Rajiv Gandhi struggled academically, even failing at Cambridge, where passing is relatively easy. He then moved to Imperial College London but failed there as well…
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 5, 2025
Many questioned how someone with his academic record could become the Prime Minister.
Let the veil be stripped. pic.twitter.com/m9serSGQMs
अय्यर ने कहा, "कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में फेल होना बहुत कठिन होता है, क्योंकि विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करने की कोशिश करता है कि सभी विद्यार्थी पास हों, लेकिन फिर भी राजीव गांधी असफल हो गए. इसके बाद वह इंपीरियल कॉलेज गए और वहां भी वह फेल हो गए. ऐसे व्यक्ति को भारत प्रधानमंत्री कैसे बना दिया गया, यह सवाल मैंने खुद से पूछा."
आमने-सामने बीजेपी कांग्रेस
मणिशंकर अय्यर के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे कांग्रेस पर हमला करने का एक अवसर माना. बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीया ने अय्यर के इस वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा, "अब परदा हट गया है."
वहीं, कांग्रेस ने इस पर पलटवार करते हुए मणिशंकर अय्यर को 'निराश व्यक्ति' करार दिया. कांग्रेस नेता हरिश रावत ने कहा कि राजीव गांधी ने देश को एक नया दृष्टिकोण दिया और उन्होंने अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए ठोस कदम उठाए. रावत ने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि कांग्रेस के एक हिस्से ने उनका समर्थन नहीं किया, अन्यथा देश का इतिहास कुछ और ही होता.