menu-icon
India Daily

'माई लॉर्ड इस देश को बचा लो', CEC की नियुक्ति में CJI का रोल खत्म करने वाले बिल पर बरसीं ममता बनर्जी

Mamata Banerjee: मुख्य चुनाव आयुक्त बिल को राज्यसभा में पेश किये जाने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को केंद्र पर जोरदार निशाना साधा.

auth-image
Edited By: Sagar Bhardwaj
'माई लॉर्ड इस देश को बचा लो', CEC की नियुक्ति में CJI का रोल खत्म करने वाले बिल पर बरसीं ममता बनर्जी

नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त बिल को राज्यसभा में पेश किये जाने को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को केंद्र पर जोरदार निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अराजकता के आगे झुक गई है.

ममता बनर्जी ने कहा, 'न्यायपालिका के सामने झुकने के आह्वान के बीच भारतीय जनता पार्टी अराजकता के सामने झुक गई है. सीईसी की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय पैनल में सीजेआई की भूमिका महत्वपूर्ण है. हम चुनाव आयुक्त के चयन में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को लाने का कड़ा विरोध करते हैं. इस असुविधा से पता चलता है कि उनके वोट में हेरफेर को नुकसान हो सकता है. '

'माई लॉर्ड इस देश को बचा लीजिए'

उन्होंने कहा कि भारत को न्यायपालिका की इस घोर उपेक्षा पर सवाल उठाना चाहिए. ममता बनर्जी ने कहा, 'क्या उनका उद्देश्य न्यायपालिका को मंत्री द्वारा संचालित कंगारू कोर्ट में बदलना है?  हम न्यायपालिका से प्रार्थना करते हैं कि माई लॉर्ड इस देश को बचा लीजिए.'

क्या कहता है बिल

बता दें कि गुरुवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति की सेवा शर्तें और कार्यकाल) बिल, 2023 राज्यसभा में पेश किया था.

बिल के मुताबिक, राष्ट्रपति, एक पैनल जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय कैबिनेट मंत्री होगा, की सिफारिश के आधार पर  मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. यह बिल चुनाव आयोग द्वारा व्यवसाय में लेन-देन की प्रक्रिया से भी संबंधित है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देगा यह बिल

यदि यह बिल अमल में आता है तो यह सुप्रीम कोर्ट के 2023 के उस आदेश को पलट देगा जिसमें कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश से बने पैनल  की सिफारिश के आधार पर  मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करेंगे.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था यह प्रक्रिया तब तक अमल में रहेगी जब तक संसद में इस पर कोई कानून नहीं बन जाता. तमाम विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि इस बिल के कानून बनते ही चुनाव आयोग प्रधानमंत्री के हाथ की कठपुतली बन जाएगा.

यह भी पढ़ें: महिलाओं के खिलाफ रेप, छेड़छाड़, वेश्यावृत्ति जैसे अपराधों में 134 सांसद, विधायक शामिल; सबसे ज्यादा इस पार्टी से