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India Daily

मल्लिकार्जुन खरगे ने साफ किया कांग्रेस का रुख, बोले पार्टी करती है One Nation One Election का विरोध

One Nation One Election: ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर कांग्रेस ने रुख साफ कर दिया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हम ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विचार का विरोध करते हैं. 

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Edited By: Amit Mishra
Mallikarjun Kharge

हाइलाइट्स

  • ‘एक देश, एक चुनाव’
  • कांग्रेस ने किया ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का विरोध 

One Nation One Election: ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर जारी कवायद के बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने कहा कि हम ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विचार का विरोध करते हैं. कांग्रेस (Congress) नेता ने कहा कि इस विचार को दरकिनार कर हाई पावर कमेटी को भंग किया जाए. खरगे ने इस बाबत ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लिए उच्च स्तरीय समिति के सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि कांग्रेस ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के विचार का कड़ा विरोध करती है.

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’

मल्लिकार्जुन खरगे का ये पत्र ऐसे वक्त में आया है, जब बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख रामनाथ कोविंद ने एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों (CEC) और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ विचार-विमर्श शुरू किया. 

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की बैठकें 

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख राष्ट्रपति कोविंद ने बुधवार को दिल्ली में मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी से मुलाकात की. पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोरला रोहिणी और पूर्व सीईसी सुशील चंद्रा के साथ भी चर्चा की. जब चंद्रा और न्यायमूर्ति रोहिणी ने कोविंद से मुलाकात की तब विधि सचिव नितेन चंद्रा भी मौजूद थे. चंद्रा उच्च स्तरीय समिति के सचिव भी हैं. 

‘एक देश, एक चुनाव’ का समर्थन 

सूत्रों के मुताबिक चंद्रा ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि इससे शासन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी क्योंकि सरकारों को नीतियां बनाने और लागू करने के लिए अधिक समय मिलेगा. उन्होंने ये भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने से जनता की असुविधा कम होगी, मानव संसाधनों के उपयोग में सुधार होगा और बार-बार चुनाव कराने पर होने वाले खर्च में कमी आएगी.