Mallikarjun Kharge On Sainik School: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने सैनिक स्कूलों के निजीकरण करने का आरोप लगाया है. खड़गे ने अपने पत्र में राष्ट्रपति के अपील की है कि सैनिक स्कूलों के निजीकरण से संबंधित नीति को रद्द किया जाए. खड़गे ने अपने पत्र में दावा किया है कि मोदी सरकार ने 2021 में सैनिक स्कूलों के निजीकरण की पहल की थी. उन्होंने यह भी दावा किया है कि 62 फीसदी स्कूलों का स्वामित्व बीजेपी और आरएसएस के नेताओं के पास है.
खड़गे ने कहा कि आप जानते हैं कि भारतीय लोकतंत्र ने पारंपरिक रूप से हमारे सशस्त्र बलों को किसी भी पक्षपातपूर्ण राजनीति से दूर रखा है. अतीत में लगातार भारतीय सरकारों ने सशस्त्र बलों और उसके सहयोगी संस्थानों को विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं की छाया से दूर रखा. आप इस व्यापक रूप से स्वीकृत तथ्य की सराहना करेंगे कि यह जानबूझकर किया गया स्पष्ट विभाजन उच्चतम लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप था और अंतरराष्ट्रीय अनुभवों पर आधारित था. इसने हमारे लोकतंत्र को मजबूती से फलते-फूलते रखा, भले ही दुनिया भर में शासन व्यवस्थाएं सैन्य हस्तक्षेप, लोकतंत्र को नष्ट करने और मार्शल लॉ का शिकार हुईं.
My letter to the Hon'ble President of India (@rashtrapatibhvn) on the blatant step by Modi Govt to politicise the independent Sainik Schools, and sign MoUs with the majority of BJP and Sangh Parivar leaders, in this regard.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) April 10, 2024
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खड़गे ने एक आरटीआई का जिक्र करते हुए आगे लिखा कि मैं आपके ध्यान में एक आरटीआई उत्तर पर आधारित एक जांच रिपोर्ट लाना चाहता हूं, जिसमें बताया गया है कि आपकी सरकार की ओर से शुरू किए गए नए पीपीपी मॉडल के तहत सैनिक स्कूलों का निजीकरण किया जा रहा है और अब इनमें से 62% स्कूलों का निजीकरण किया जा रहा है. जिसका स्वामित्व बीजेपी और आरएसएस के नेताओं के पास है. इसमें एक मुख्यमंत्री का परिवार, कई विधायक, भाजपा पदाधिकारी और आरएसएस नेता शामिल हैं. खड़गे ने आगे लिखा कि देश में 33 सैनिक स्कूल हैं. ये पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित संस्थान थे जो रक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय, सैनिक स्कूल सोसायटी के तत्वावधान में संचालित थे.
खड़गे ने कहा कि साल 2021 में केंद्र सरकार ने सैनिक स्कूलों के निजीकरण की पहल की थी. उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल ने कभी ऐसा नहीं किया, क्योंकि हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और साहस को दलगत राजनीति से दूर रखने के लिए आम राष्ट्रीय सहमति है. उन्होंने पत्र में कहा कि कांग्रेस राष्ट्र हित में इस निजीकरण नीति को पूरी तरह से वापस लेने और इन एमओयू को रद्द करने की मांग करती है, ताकि सशस्त्र बल स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे राष्ट्र की सेवा के लिए आवश्यक चरित्र, दृष्टि और सम्मान बरकरार रहे.