Maldives vs Lakshadweep Row Muizzu Government economy depend on india: पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव की महिला मंत्री समेत अन्य को तंज कसना और अपशब्द कहना भारी पड़ गया. पूर्व राष्ट्रपति की नसीहत के बाद मालदीव सरकार ने महिला मंत्री समेत तीन मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया. इन मंत्रियों में मालशा शरीफ, अब्दुल्ला महज़ूम माजिद और मरियम शिउना शामिल हैं. सवाल ये उठता है कि आखिर मालदीव सरकार ने तीनों मंत्रियों को निलंबित क्यों किया?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मालदीव की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है, जिसमें भारतीयों का योगदान काफी है. इसे देखते हुए मालदीव सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी, जिसके कारण तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया. वैसे सिर्फ पर्यटन ही नहीं, कई अन्य चीजें हैं, जिसके लिए मालदीव भारत पर निर्भर है. बता दें कि मालदीव की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से टूरिज्म पर निर्भर है. ये सरकार के राजस्व का भी सबसे बड़ा सोर्स है. टूरिज्म से मालदीव के लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलता है. कहा जाता है कि मालदीव के कुल रोजगार में करीब 70 फीसदी योगदान पर्यटन का है.
टूरिज्म के अलावा मालदीव सरकार स्क्रैप, इंजीनियरिंग और इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट (फार्मास्यूटिकल्स, रडार उपकरण, रॉक बोल्डर, सीमेंट) निर्यात करता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में भारत, मालदीव का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी भागीदार था. इसके अलावा, मालदीव एग्रीकल्चर प्रोडक्ट (चावल, मसाले, फल, सब्जियां और पोल्ट्री) भी भारत से लेता है.
2020 के शुरुआती महीनों में जब पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा था, तब भारत ने कोरोना वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल की थी. भारत ने वैक्सीन के जरिए कई देशों की मदद की थी. इसके अलावा, भारत, मालदीव के लिए इस समय सबसे बड़ा बाजार के रूप में सामने आया. कोरोना काल में 60 हजार से अधिक भारतीय घूमने के लिए मालदीव पहुंचे. इसके बाद 2021 में ये संख्या करीब 3 लाख पहुंच गई. एक साल बाद यानी 2022 में भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या थोड़ी घटकर 2.41 लाख पहुंची. पिछले साल यानी 2023 में भारत से करीब 2 लाख पर्यटक मालदीव पहुंचे थे.
बता दें कि कोरोना से पहले भी मालदीव के टूरिज्म को बढ़ाने में भारतीयों को योगदान था. साल 2018 में मालदीव घूमने वाले कुल पर्यटकों की संख्या 14 लाख, 84 हजार, 274 थी, जिसमें से करीब 6.1 फीसदी यानी 90 हजार 474 से अधिक टूरिस्ट भारत से थे. एक साल बाद यानी कोरोना से ठीक पहले 2019 में भारत के 1 लाख 66 हजार से अधिक सैलानी मालदीव पहुंचे थे.
दरअसल, पीएम मोदी हाल ही में लक्षद्वीप दौरे पर गए थे. इस दौरान पीएम मोदी लक्षद्वीप में समंदर के किनारे वाली कुछ तस्वीरें और सोशल मीडिया पर शेयर की थीं. पीएम मोदी ने टूरिज्म सेक्टर में जान डालने के लिए भारत के लोगों से लक्षद्वीप घूमने की अपील की थी. पीएम मोदी की लक्षद्वीप वाली तस्वीरों, वीडियो और अपील के बाद मालदीव की मुस्लिम महिला मंत्री मरियम शिउना ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. उनके इस ट्वीट का काफी विरोध हुआ और लोग मालदीव बायकॉट की बात करने लगे.
मालदीव की मंत्री के बयान के बाद पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह ने उनके बयान की निंदा की और इसे भयानक बताया. पूर्व राष्ट्रपति ने मंत्री को सोच समझकर बयान देने की अपील की और कहा कि उनकी ओर से इस्तेमाल की गई भाषा भयानक थी. उन्होंने ये भी कहा कि भारत, मालदीव की सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक प्रमुख सहयोगी है.
पूर्व राष्ट्रपति ने अपने ऑफिशियल एक्स अकाउंट पर लिखा- मालदीव सरकार की मंत्री मरियम शिउना ने एक प्रमुख सहयोगी देश के नेता के प्रति कितनी भयावह भाषा बोली है. मोहम्मद मुइज्जू सरकार को इन टिप्पणियों से खुद को दूर रखना चाहिए और भारत को स्पष्ट आश्वासन देना चाहिए कि मंत्री की इस टिप्पणी का सरकार से कोई संबंध नहीं है. इसके बाद मालदीव सरकार ने महिला मंत्री समेत तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया.
बता दें कि मालदीव की युवा अधिकारिता उप मंत्री मरियम शिउना ने पीएम मोदी को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी. बाद में उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स से पोस्ट को हटा लिया था. बता दें कि मालदीव की मंत्री ने अपने पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जोकर और इजराइल के हाथों की कठपुतली बताया. पोस्ट के बाद भी उन्होंने अपने कई सोशल मीडिया इंटरैक्शन में पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को दोहराया.
शिउना के अलावा, मालदीव के एक अन्य मंत्री जाहिद रमीज समेत अन्य अधिकारियों ने पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा का मजाक उड़ाया. बता दें कि एक ट्वीट में दावा किया गया था कि पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा मालदीव के लिए झटका है. उनकी यात्रा के बाद लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
मंत्री जाहिद रमीज ने कहा था कि पीएम मोदी का ये अच्छा कदम है, लेकिन मालदीव के साथ इसकी तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि वे मालदीव की ओर से दी जाने वाले सेवाओं को कैसे प्रदान करेंगे? इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने मंत्रियों की आलोचन की और मालदीव के बहिष्कार की बात कही.