India vs Maldives water survey: मालदीव और भारत के रिश्ते कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं. पहले उसने अपनी जमीन से भारतीय सैनिकों को वापस जाने को कहा था और अब एक बड़ी डील को खत्म करने जा रहा है. इस बारे में उसने जानकारी भी दी है. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने 'हाइड्रोग्राफिक सर्वे' पर भारत के साथ पिछली सरकार के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है. यह डील 4 साल पहले हुई थी.
दरअसल, साल 2019 में 8 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालानी राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के निमंत्रण पर मालदीव का दौरा किया था. उस वक्त एक समझौते के तहत भारत को मालदीव के क्षेत्रीय जल, अध्ययन और चार्ट रीफ, लैगूनु, समुद्र तट, महासागर धाराएं और ज्वार के स्तर का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी. यह भारत और मालदीव के बीच पहला द्विपक्षीय समझौता था, जिसे अब वहां की नई सरकार आधिकारिक तौर पर खत्म करना चाहती है.
मालदीव और भारत के बीच हुई इस समझौते के तहत भारतीय नौसेना को कई तरह के अधिकार मिल गए थे, जिनके तहत वह मालदीव में व्यापक रूप से हाइड्रोग्राफिक सर्वे कर सकती है. इससे नेविगेशन सुरक्षा बेहतर हो, आर्थिक विकास, सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग, पर्यावरण सुरक्षा, तटीय प्रबंधन और वैज्ञानिक अनुसंधान में मदद मिल सके.अब तक एग्रीमेंट के तहत इंडियन नेवी ने ऐसे 3 सर्वे किए हैं.
गुरुवार को एक संवाददात सम्मेलन में राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति के अवर सचिव मोहम्मद फिरुजुल अब्दुल खलील ने बताया कि मुइज्जू सरकार ने 7 जन 2024 को समाप्त होने वाले हाइड्रोग्राफी समझौते को रिन्यूअल यानी आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. उन्होंने बताया कि इस समझौते की शर्तों के अनुसार यदि एक पक्ष समझौते को छोड़ना चाहता है तो उसे समझौते की समाप्ति से छह महीने पहले दूसरे पक्ष को अपने फैसले के बारे में बताना होता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुइजू ने अपनी कैबिनेट से परामर्श के बाद यह फैसला लिया है. द सन ने अपनी रिपोर्ट में फिरुजुल के हवाले से बताया कि प्रशासन का मानना है कि इस तरह के सर्वे करने और ऐसी संवेदनशील डिटेल की सुरक्षा करने के लिए मालदीव की सेना की क्षमता में सुधार करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे अच्छा है. भविष्य में हाईड्रोग्राफी कार्य 100 फीसदी मालदीव प्रबंधन के तहत किया जाएगा, जिसके लिए सिर्फ मालदीव के लोगों को ही इजाजद दी जाएगी.
दरअसल, मालदीव में मोइज्जू सरकार पिछले महीने ही बनी है. यहां जब से राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कामकाज संभाला है वह भारत के खिलाफ फैसले ले रहे हैं. इस सरकार को चीन समर्थक माना जा रहा है. इससे पहले मोइज्जू ने ऐलान किया था कि वो राष्ट्रपति बनते ही भारत के साथ किए गए समझौतों की समीक्षा करेंगे. इतना ही नहीं वह 500 मिलियन डॉलर के ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट जैसे भारतीय आर्थिक प्रोजेक्ट पर काम तेज करने की बात कह रहे हैं.