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'मालदीव फर्स्ट' भारत के साथ संबंधों को भी प्राथमिकता, भारत दौरे पर पहुंचे मुइज्जू क्या-क्या बोले?

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के तेवर भारत के प्रति अब नरम पड़ते दिख रहे हैं. भारत के साथ रिश्तों में आई कड़वाहट को दूर करने के इरादे से राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू रविवार को दिल्ली पहुंचे. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनसे मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की.

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Edited By: India Daily Live
mohamed muizzu
Courtesy: Social Media

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत दौरे पर हैं. वह दोपहर 12.06 बजे भारतीय रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के विमान से भारत के लिए रवाना हुए थे.इस बीच भारत की पहली राजकीय यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि मालदीव कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचे.

इसके अलावा मुइजू ने कहा कि मालदीव विभिन्न क्षेत्रों में अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाना जारी रखता है लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि उसके कार्यों से क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता से समझौता न हो.

 
'भारत मालदीव का एक मूल्यवान साझेदार.'

आगे मुइजू ने कहा कि भारत मालदीव का एक मूल्यवान साझेदार और मित्र है और यह रिश्ता आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित है. उन्होंने यह भी कहा कि मालदीव भारत के साथ मजबूत और रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाना जारी रखेगा और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त रूप से काम करेगा. राष्ट्रपति ने कहा कि मालदीव फर्स्ट की नीति का पालन करते हुए उनका देश के साथ अपने दीर्घकालिक और भरोसेमंद संबंधों को प्राथमिकता देना जारी रखेगा.

'मालदीव भारत के साथ मजबूत..'

राष्ट्रपति ने कहा, हमें विश्वास है कि अन्य देशों के साथ हमारे जुड़ाव भारत के सुरक्षा हितों को कमजोर नहीं करेगा. मालदीव भारत के साथ मजबूत और रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाना जारी रखेगा.

भारत यात्रा पर मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू

बता दें कि मोहम्मद मुइज्जू इस यात्रा में भारतीय रक्षा मंत्रालय के विमान के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठने लगे हैं. यह वही मुइज्जू हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति बनते ही भारत से गिफ्ट में मिले डॉर्नियर विमान, एएलएच हेलीकॉप्टर के उड़ान को रोक दिया था और मालदीव के आम लोगों की मेडिकल इमरजेंसी में सहायता करने वाले लगभग सवा सौ भारतीय सैनिकों को भी वापस भेज दिया था.