maldives Foreign Minister India Visit: भारत को डेडलाइन देने वाला मालदीव, डेडलाइन के खत्म होने से 48 घंटे पहले ही दंडवत हो गया है. दरअसल, मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर इन दिनों भारत की यात्रा पर हैं. वे बुधवार शाम को नई दिल्ली पहुंचे थे. मूसा जमीर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात कर कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे. लक्षद्वीप मुद्दे पर भारत से विवाद के बाद मालदीव के किसी मंत्री की भारत की ये पहली आधिकारिक यात्रा है. दरअसल, लक्षद्वीप मुद्दे पर टशन के बाद से मालदीव चीन की गोद में जाकर बैठ गया था.
पिछले महीने राष्ट्रपति मोइज्जू की पार्टी ने संसदीय चुनाव में बंपर जीत हासिल की है. जीत के बाद मोइज्जू सरकार का भारत के प्रति रूख नरम दिखा है. शायद उसे समझ आ गया है कि चीन के अलावा भी उसे अन्य देशों की जरूरत पड़ेगी. इन देशों की लिस्ट में भारत तो शामिल है ही, साथ ही जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी शामिल है, जो भारत के काफी करीबी माने जाते हैं. ऐसे में मालदीव के विदेश मंत्री की भारत यात्रा एक अलग ही कहानी बयां कर रही है.
दरअसल, पिछले साल जब मोइज्जू राष्ट्रपति चुनाव जीते थे, तब से भारत के खिलाफ उनकी एक-एक चाल सामने आने लगी थी. उन्होंने मालदीव के विमानों की मदद के लिए तैनात भारतीय टीम को देश छोड़ने का फरमान सुना दिया. हालांकि, भारतीय सैन्य अधिकारियों की जगह नागरिक कर्मियों की तैनाती पर सहमति बनी थी. मोइज्जू सरकार ने भारत सरकार को डेडलाइन देते हुए कह दिया था कि 10 मई तक सभी भारतीय सैन्य अधिकारियों को मालदीव छोड़ देना है. ऐसे में डेडलाइन के पूरा होने के करीब 48 घंटे पहले ही मालदीव भारत के सामने दंडवत हो गया और उसके विदेश मंत्री कई मुद्दों पर साथ और सहमति के लिए भारत पहुंच गए.
मालदीव से तनाव के बीच भारत ने भी अपने रुख में नरमी बरती और भारतीय विदेश मंत्रालय ने हिंद महासागर में मालदीव को प्रमुख पड़ोसी बताया. उधर, मालदीव की ओऱ से भी साकारात्मक रुख की पहल की गई है. उसे पता है कि भारत के बिना बहुत कुछ संभव नहीं है. शायद इसी सोच के कारण तनाव के बीच मालदीव ने विशाखापत्तनम में 19 से 28 फरवरी तक आयोजित नौसैनिक युद्ध खेल 'MILAN 24' में अपनी टीम भेजी थी.
ABP की रिपोर्ट में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रेमेशा साहा का हवाला दिया गया. कहा गया कि मालदीव और भारत को ऐसे ही संपर्क बनाए रखना चाहिए. भारत और मालदीव दोनों को एक दूसरे की जरूरत है. मालदीव, भारत का समुद्री पड़ोसी है. साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत का रणनीतिक साझेदार भी है.
साहा के मुताबिक, भारत को अच्छी तरह पता है कि चीन ने आखिर क्यों मालदीव को अपनी गोद में बैठाया है. जब हमें ये पता है, तो फिर मालदीव को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता है. हमें पहले की ही तरह संबंधों को बनाए रखना चाहिए. मालदीव को भी ये पता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के छोटे-छोटे अन्य देशों के साथ चीन क्या कुछ कर रहा है. ऐसे में भविष्य में उसके लिए कोई परेशानी वाली स्थिति न पैदा हो, इसलिए मालदीव को भारत की जरूरत है.