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जम्मू: राजौरी में सेना की चौकी पर हमले की फिराक में थे आतंकी, सुरक्षाबलों ने किया नाकाम; फायरिंग जारी

जम्मू के राजौरी में दूर के एक गांव में बने सेना की चौकी पर बड़े आतंकी हमले की योजना थी, जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया. सुरक्षाबलों की ओर से आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है. दोनों ओर से फायरिंग की बात कही गई है. कहा जा रहा है कि सुरक्षाबलों ने आतंकियों को घेर लिया है और कार्रवाई की जा रही है.

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Edited By: India Daily Live
Army picket in Rajouri
Courtesy: Social Media

जम्मू के राजौरी में दूर के एक गांव में बने सेना की चौकी पर बड़े आतंकी हमले की योजना थी, जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया. सुरक्षाबलों की ओर से आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है. दोनों ओर से फायरिंग की बात कही गई है. कहा जा रहा है कि सुरक्षाबलों ने आतंकियों को घेर लिया है और कार्रवाई की जा रही है.

जानकारी के मुताबिक, राजौरी के एक सुदूर गांव में सेना की एक टुकड़ी पर एक बड़े आतंकी हमले को नाकाम कर दिया गया है. जम्मू के राजौरी में पीपी-खवास के अंतर्गत आने वाले गुंडा गांव में आतंकियों ने सेना की एक कंपनी पर गोलीबारी की. इसके बाद सेना के जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की. फिलहाल, सेना ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और तलाशी अभियान जारी है.

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को जम्मू-कश्मीर में सेना चौकी पर एक बड़े आतंकी हमले को नाकाम कर दिया गया. रक्षा विभाग जम्मू के जनसंपर्क अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि राजौरी के एक सुदूर गांव में हमले को विफल कर दिया गया. फिलहाल, आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ जारी है.

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से खबर में बताया गया है कि गोलीबारी सुबह करीब चार बजे हुई, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की. इससे पहले 19 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की कोशिश को सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया और दो आतंकवादी मारे गए थे. इससे पहले जम्मू-कश्मीर में डोडा जिले के कास्तीगढ़ इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में दो जवान घायल हो गए थे. ये मुठभेड़ डोडा मुठभेड़ में आतंकवादियों से लड़ते हुए एक अधिकारी समेत चार सैन्य जवानों के शहीद होने के कुछ दिनों बाद हुई थी.

सेना ने जम्मू क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती बढ़ाई

जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के बीच भारतीय सेना ने सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जम्मू क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है. कठुआ, सांबा, कठुआ समेत डोडा, बदरवाह और किश्तवाड़ में सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई है. चीनी सैनिकों के साथ टकराव (अप्रैल 2020) के बाद यह पहली बार है कि आतंकवादियों को खत्म करने के लिए इस क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती में इतना बड़ा बदलाव किया गया है.

जम्मू-कश्मीर में बढ़े आतंकवादी हमले

जम्मू-कश्मीर में पिछले डेढ़ महीने में आतंकी हमलों में बढ़ोतरी हुई है, जिसमें बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं. 9 जून को रियासी में हुए आतंकी हमले में 9 नागरिक भी मारे गए थे. भारतीय सेना के एक सूत्र के अनुसार, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के ज़रिए घुसपैठ की साजिश रच रहा है. पाकिस्तानी रेंजर्स की आड़ में, संदेह है कि आतंकवादी सियालकोट के ज़रिए पंजाब या जम्मू के इलाकों को निशाना बनाकर घुसपैठ कर सकते हैं.

जम्मू का इलाका नदियों से भरा हुआ है, जबकि पाकिस्तान सीमा पर कई नाले हैं जो मानसून के दौरान उफान पर रहते हैं. ये परिस्थितियां घुसपैठियों के लिए क्षेत्र में घुसने के अवसर पैदा करती हैं. इसके अलावा, जम्मू संभाग में पहाड़ी इलाके में छिपने के लिए पर्याप्त जगहें हैं, जिससे घुसपैठियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. इसके अतिरिक्त, मौसम ड्रोन संचालन के लिए चुनौतियां पेश करता है, जिससे क्षेत्र की प्रभावी रूप से निगरानी और सुरक्षा करने के प्रयास और जटिल हो जाते हैं.

इससे पहले सूत्रों ने संकेत दिया था कि पाकिस्तान अपने प्रशिक्षित आतंकवादियों, पूर्व एसएसजी (स्पेशल सर्विस ग्रुप) सदस्यों और भाड़े के सैनिकों को भारत भेज रहा है, जिसमें प्रत्येक समूह के लिए कम से कम 1 लाख रुपये हैं. हताश पाकिस्तान इन आतंकवादियों को एम4 राइफल और चीनी कवच-भेदी गोलियों जैसे महंगे हथियारों से लैस कर रहा है. घुसपैठ के दौरान उनकी सहायता करने वाले गाइडों को भी 10,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक का भुगतान किया जा रहा है. इसके अलावा, रिपोर्ट बताती है कि आतंकवादी सैमसंग फोन और आईकॉम रेडियो सेट के माध्यम से वाई एसएमएस का इस्तेमाल कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों ने भारत में घुसपैठ करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा या अन्य मार्गों का फायदा उठाया है. बीएसएफ सभी बाड़ों और सुरंगों की जांच कर रही है. इसके अलावा, यह भी पाया गया है कि भारत में घुसपैठ करने वाले आतंकवादी ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) को 5,000-6,000 रुपये भी देते हैं जो उन्हें भोजन और अन्य ज़रूरतों में मदद करते हैं.