Maharashtra News: जन्म... महाराष्ट्र में लेकिन बड़ी हुई फ्रांस में... 21 साल की एक लड़की 17 साल के बाद फ्रांस से महाराष्ट्र लौटी है. फ्रांस से लौटने के बाद लड़की महाराष्ट्र की सड़कों पर अपने माता-पिता को तलाश रही है. लड़की की माता पिता की तलाश में कई लोग उनकी मदद भी कर रहे हैं. दरअसल, 21 साल की नेहा जब एक महीने की थी, तब उनके माता पिता ने उन्हें एक टोकरी में रखकर मंदिर के बाहर छोड़ दिया था. इसके बाद उसे फ्रांस के एक दंपत्ति ने गोद ले लिया. अब 17 साल बाद नेहा अपने बायलॉजिकल माता-पिता की तलाश में महाराष्ट्र आई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नेहा को उसके माता-पिता ने बीड जिले के परली वैद्यनाथ में एक पुराने शिव मंदिर में 8 जून, 2002 को छोड़ दिया था. उस दौरान मंदिर की साफ सफाई करने वाले कर्मचारी को एक महीने की नेहा टोकरी में मिली थी. जिस शख्स को टोकरी में एक महीने की नेहा मिली थी, उनका नाम विनायक खिस्के है. विनायक अब 72 साल के हो चुके हैं. हाल ही में जब नेहा और विनायक खिस्के का आमना-सामने हुआ तो दोनों भावुक हो गए.
विनायक खिस्के के बेटे दया ने कहा कि मेरे पिता को जो बच्चे मिले हैं उनमें से नेहा वापस लौटने वाली पहली लड़की है. दया ने कहा कि मुझे याद है कि एक महीने की नेहा टोकरी में पुराने कपड़ों में लिपटी थी. उन्होंने बताया कि मेरे पिता वैद्यनाथ के शिव मंदिर में काम करते थे. उन्होंने 50 साल के कार्यकाल में 40 से 50 ऐसे बच्चों को देखा, जिनके माता-पिता उन्हें मंदिर में छोड़ गए थे. जब नेहा को मंदिर में छोड़ा गया, तब उसे टोकरी में रखने वाले को किसी ने नहीं देखा.
दया के मुताबिक, नेहा को जिसने सबसे पहले देखा, उसने पुलिस को इसकी सूचना दी.इसके बाद नेहा को 29 जून 2002 तक नवरेंज चाइल्ड आश्रम में रखा गया. इसके बाद पुणे के प्रीत मंदिर नाम के संगठन के जरिए फ्रांस के दंपत्ति ने 2003 में नेहा को गोद लिया. फिलहाल, प्रीत मंदिर संगठन एक घोटाले में शामिल पाया गया था, जिसके बाद उसे बंद कर दिया गया. अभी भी मामले की जांच सीबीआई कर रही है.
फ्रांस में पली-बढ़ी नेहा फ्रांसीसी माता-पिता और अपने आस-पास के साथियों से खुद को अलग महसूस करती थी. वो फ्रेंच बोलती थी और उन्हीं की तरह कपड़े पहनती थी, लेकिन वह हमेशा अपने असली माता-पिता के बारे में सोचती रहती थी. अलग-अलग लोगों से वो भारत की कहानियां भी सुनती रहती थी. माता-पिता के बारे में जानने की उत्सुकता के कारण नेहा 2020 में भारत आ गई. करीब चार साल बाद हाल ही में नेहा की मुलाकात विनायक खिस्के से हुई. इस दौरान नेहा और विनायक खिस्के के बीच बमुश्किल कुछ बातचीत हुई. फिर नेहा ने भावुक होते हुए फ्रेंच में कहा कि 21 साल बाद मैंने पहले ऐसे शख्स को ढूंढ लिया, जो मुझसे जुड़ा है. इसके बाद विनायक खिस्के ने नेहा को वो जगह दिखाई, जहां वो टोकरी में मिली थी.
नेहा की तलाश 2020 से जारी है. भारत आने के बाद नेहा सबसे पहले इंटरनेट के जरिए अरुण डोहले के नेतृत्व वाले ऑर्गनाइजेशन अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग (ACT) तक पहुंची. अरुण डोहले ने नेहा को वकील अंजलि पवार से मिलवाया, जो पुणे-बीआरडी एडॉप्टी राइट्स काउंसिल की सदस्य हैं. अंजलि पवार गोद लिए गए बच्चों को उनके जैविक माता-पिता की तलाश में मदद करती हैं.
अंजलि पवार ने कहा कि नेहा जैसे बच्चे अपने गोद लिए हुए माता-पिता से स्पष्ट रूप से अलग दिखते हैं, इसलिए उन्हें कम उम्र से ही पता चल जाता है कि उन्हें गोद लिया गया है. उन्होंने कहा कि नेहा जैसे बच्चों को ये पता लगाने की ज़रूरत है कि वे कौन हैं और कहां से आए हैं. अंजलि ने कहा कि जब नेहा ने पहली बार हमसे संपर्क किया, तो उनके पास मौजूद कुछ दस्तावेज़ों के साथ, मैंने पुलिस रिकॉर्ड के बीच अपनी खोज शुरू की. इसमें कुछ समय लगा, क्योंकि ये काफी पुराना मामला था. उन्होंने बताया कि पुलिस रिकॉर्ड के जरिए मुझे विनायक खिस्के के बारे में पता चला, जिसके बाद हम विनायक खिस्के तक पहुंचे.
मंदिर के ट्रस्टियों से मुलाकात करते हुए अंजलि ने दिसंबर 2020 में खिस्के को ढूंढने में सफलता हासिल की. उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण नेहा के माता-पिता की तलाश में थोड़ी देर हुई. उन्होंने कहा कि नेहा के बारे में हमने जगह-जगह खबर फैलाई है, लेकिन अब तक कोई भी ऐसा शख्स नहीं मिला है, जो नेहा के माता-पिता के बारे में जानकारी दे सके. उन्होंने कहा कि फिलहाल, नेहा अपने दत्तक माता-पिता के साथ उत्तर भारत के लिए निकलेंगी और अपने जन्मस्थान के बारे में खोजबीन करेंगी.