Maharashtra News: महाराष्ट्र में अभी मराठा आरक्षण का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब सरकार के सामने एक और चुनौती खड़ी हो गई है. मराठा आरक्षण पर राज्य विधानमंडल के विशेष सत्र से पहले राज्य के मुस्लिम नेताओं ने अपने लिए 5% आरक्षण की नई मांग कर दी है. समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने कहा कि राज्य सरकार को मुस्लिम आरक्षण के लिए तत्काल कानून बनाना चाहिए. मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने यहां जिक्र किया कि यदि ओबीसी कोटा को प्रभावित किए बिना मराठा आरक्षण दिया जाता है तो वे इसका स्वागत करेंगे.
विधायक रईस शेख ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लिखे पत्र में अपनी मांग स्पष्ट की है. इसमें कहा गया है कि पूर्व कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए मुसलमानों को आरक्षण दिया था और बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुसलमानों के लिए शिक्षा में 5% आरक्षण को बरकरार रखा था.
हालांकि, राज्य सरकार ने आरक्षण इंप्लीमेंट करने के लिए कोई कानून नहीं बनाया है. यह मुस्लिम समुदाय के साथ अन्याय है, जो दशकों से अपने लिए आरक्षण की वकालत कर रहे हैं. उन्होंने लिखा है कि ऐसा नहीं होने पर समुदाय में काफी नाराजगी है. अब समय आ गया है कि सरकार समुदाय को आरक्षण दे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय की आबादी 11.5% है. जस्टिस राजिंदर सच्चर आयोग (2006) और जस्टिस रंगनाथ मिश्रा समिति (2004) दोनों ने मुस्लिम समुदाय के आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को आंकड़ों के साथ पेश किया था. साल 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने डॉ. महमूदुर रहमान समिति बनाई थी, जिसने शिक्षा और नौकरियों में मुस्लिम समुदाय के लिए 8% आरक्षण की सिफारिश की थी.
रईस शेख ने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम आरक्षण की मांग समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन को लेकर है. शेख ने कहा कि समुदाय की करीब 50 उपजातियों को आरक्षण से काफी फायदा होगा. आरक्षण की मांग समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है, सरकार हमें उचित आरक्षण देगी. इसके अलावा शेख ने मराठों के लिए अलग आरक्षण का स्वागत करने की बात कही. साथ ही कहा कि ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होना चाहिए.