महाराष्ट्र की एक अदालत ने इंस्पेक्टर अभय कुरुंदकर को पुलिस अधिकारी अश्विनी बिदरे-गोर की हत्या का दोषी पाया है. वह करीब 9 साल पहले लापता हो गई थी. पनवेल सत्र न्यायालय ने शनिवार को कुरुंदकर को , जो उसके सहकर्मी थे, उसकी हत्या और सबूतों को गायब करने का दोषी ठहराया. साथ ही दो अन्य लोगों को भी उसकी लाश को ठिकाने लगाने में उसकी मदद करने का दोषी ठहराया.
कुरुंदकर बिदरे के साथ रिलेशनशिप में था. उसने अप्रैल 2016 में विवाद के बाद उसकी हत्या कर दी. उसके शरीर को टुकड़ों में काट दिया, उसे एक ट्रंक और एक बोरी में भर दिया और वसई क्रीक में फेंक दिया. शव के अवशेष कभी नहीं मिले. कार्यवाही के दौरान, न्यायाधीश ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि कुरुंदकर को बिदरे की हत्या के एक साल बाद 2017 में वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक दिया गया था.
तीन लोगों को हत्या का दोषी मानते हुए न्यायमूर्ति केजी पालदेवर ने कहा, 'यह आश्चर्यजनक है कि अभय कुरुंदक को गणतंत्र दिवस पर वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक दिया गया था. उसने ही अप्रैल 2016 में अश्विनी बिदरे-गोरे का कथित तौर पर अपहरण कर हत्या कर दी थी. इसलिए, यह सवाल उठता है कि पुलिस विभाग की समिति ने इस बात की जानकारी होने के बावजूद कि वह एक हत्या के मामले में आरोपी था, पुरस्कार के लिए उसके नाम की सिफारिश कैसे की. दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच जरूरी है.'
विशेष लोक अभियोजक प्रदीप घरात ने मीडिया को बताया कि कुरुंदकर ने ठाणे ग्रामीण अपराध शाखा में पुलिस गश्ती वाहन के समय की गलत प्रविष्टि करके एक फर्जी लॉग बुक तैयार की थी, जहां वह वरिष्ठ निरीक्षक थे, ताकि यह दावा किया जा सके कि कथित हत्या के समय वह गश्त ड्यूटी पर थे.
मुआवजे की राशि पर बिद्रे के पिता और बेटी की सुनवाई के बाद 11 अप्रैल को सजा सुनाए जाने की उम्मीद है. अन्य दोषी कुंदन भंडारी, कुरुंदकर के ड्राइवर और पुणे के बैंक कर्मचारी और कुरुंदकर के करीबी दोस्त महेश फलनीकर हैं.