महाराष्ट्र में शिंदे सरकार लगतार महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रही है. राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को वित्तीय तौर पर स्वतंत्रता व परिवार के समर्थन मिलने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए उनके सपनों को पंख लगाते हुए छोटा सा योगदान दिया है. राज्य सरकार ने "माझी लाडकी बहीण योजना" के तहत योग्य महिला लाभार्थियों के लिए तीसरी किस्त जारी कर दी है. इसमें महिला लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे 1,500 रुपये की तीसरी किस्त को जारी कर आर्थिक तौर पर भी काफी ज्यादा मदद की है.
इस नई योजना के माध्य से प्रति लाभार्थी को मिलने वाली मदद की राशी को 4,500 रुपये तक रखा गया. इसे तीन बार में बांटने को लेकर एक प्रवाधना बनाया गया था. राज्य के बजट का जिस समय ऐलान किया था तभी इस योजना में राज्य सरकार ने अपनी तरफ से रुचि दिखाई. इसमें 1.5 करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने आवेदन कर पंजीकरण कराया. महिलाओं की भागीदारी में लगातार बढौतरी देखी गई. योजना के तहत प्रत्येक परिवार से 2 महिलाओं को सीधे ही पैसे द्वारा आर्थिक सहाससता देना का दावा किया गया.
विपक्षी पार्टी ने इस योजना पर संदेह व्यक्त करते हुए इसे नकारात्मक बताया था. इतना ही नहीं विपक्षी पार्टी ने कई बार इस योजना को अविश्वसनीय करार देते हुए इसे बंद करने की बात कही गई. लेकिन सरकार ने इस योजना की अखंडता व दृढ़ता का बनाए रखा. इसके साथ ही विपक्षी दल द्वारा इसे नकारात्मक बताने वाली उनकी बात को भी सरकार ने गलत साबित करा. सरकार ने योजना पर विश्वास बनाए ऱखने के लिए कई तर्क सुनिश्चित किए. इसके लिए राज्य सरकार ने धोखाधड़ी होने को लेकर किए दावों से सुरक्षा के लिए ऑफ़लाइन पंजीकरण और ठोस वेरिफिकेशन प्रोटोकॉल नियम को लागू कर दिया. इन चुनौतियों के बीच योजना का प्रारंभ करने के लिए वित्त मंत्री अजीत पवार का काफी बड़ा योगदान रहा है.
इस योजना के शुरुआत में विपक्षी दलों के विरोध व तमाम कानूनी बाधाओं का समाना करने के बाद भी इसे पूरे राज्य में महिलाओं के लिए तोहफे के तौर पर दिया गया. इसके जरिए महिलाओं की आर्थिक स्थित में भी सुधार आया है. महिलाओं ने परिवार को भी इस योजना से मिल रही मदद के माध्यम से योगदान दिया. न्यायपालिका की तरफ से भी इस योजना को जनता के बीच वैध व स्वीकार करने की मजबूती मिली है. सीएम एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व अजीत पवार समेत उच्च पदस्थ अधिकारियों ने कार्यक्रम को भी जारी रखा, और अपना समर्थन देते हुए जनता के बीच सरकार पर विश्वास को भी बढ़ा दिया.
महाराष्ट्र सरकार ने इस वित्तीय पोषण के अंतर्गत इस योजना के लिए 46 हाजार करोड़ के बजट का प्रावधान रखा. इससे यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया गया कि इसके तहत राज्य की आर्थिक स्थिति पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा. सरकार ने इसके लिए पहले से ही एक रणनीति बना ली थी. क्योंकि यह योजना अन्य राज्यों की तुलना में बेहद अलग मानी गई है. अन्य राज्यों को इस तरह की योजना चलाने के लिए वित्तीय नुकसान को भी झेलना पड़ा. जोजना ने महज महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को ही बढ़ावा नहीं दिया. बल्कि बुनियादी तौर पर भी विकास व खुद के कल्याण को समझते हुए अपने पैरो पर भी खड़ा किया. "लड़की-बहन" योजना के साथ ही किसान सम्मान योजना, आयुष्मान भारत योजना और मुफ्त राशन योजना जैसी कई पहल धरातल पर परिवारों को सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं, इससे राज्य के सामाजिक व आर्थिक ढांचे का भी पोषण होता है.
"माझी लड़की बहिन योजना" राज्य की महिलाओं को परिवार चलाने के लिए आर्थिक तौर पर मदद कर रही है. इसकी वजह से लैंगिक समानता व सामाजिक और आर्थिक तौर पर भी महिलाओं में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास को नई दिशा देता है. विरोध और कानूनी जांच के बीच इस योजना के अंतर्गत एक सफल बंटवारा योजना में लचीलापन और महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ ही व्यावहारिक न समावेशी वित्तीय रणनीतियों के माध्यम से परिवार कल्याण में समर्थन से जोड़ता है.