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'जो तोड़ते हैं परिवार, उनसे नफरत करते हैं लोग...,' अजित पवार को गलती का एहसास, क्या फिर चाचा शरद पवार से करेंगे डील?

महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव है. सभी पार्टियां इसको लेकर तैयारियों में जुटी हुई है. इसी बीच महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि उन्होंने पहले ही अपनी गलती स्वीकार कर ली है. साथ ही उन्होंने कहा, 'राजनीति को घर में नहीं आना चाहिए.'

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: Social Media

महाराष्ट्र में एक बार फिर विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. विपक्षी एमवीए एक ओर जहां शिंदे सरकार पर लगातार हमला कर रही है. वहीं दूसरी ओर महायुती सरकार के घटक दल आपस में ही भिड़ रहे हैं. इस बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार के एक बयान से हर कोई हैरान है. दरअसल महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव है. सभी पार्टियां इसको लेकर तैयारियों में जुटी हुई है. इसी बीच महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार ने कहा कि उन्होंने पहले ही अपनी गलती स्वीकार कर ली है.

यह दूसरा मौका है जब एक महीने से भी कम समय में पवार ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि उन्होंने अपनी पत्नी को बहन के खिलाफ मैदान में उतारकर गलती की और यह कहा कि राजनीति को घर में नहीं आना चाहिए.

अजित पवार ने क्या कहा?

अजित पवार शुक्रवार को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में थे. जहां उन्होंने पार्टी के नेता और राज्य मंत्री धर्मराव बाबा आत्राम की बेटी भाग्यश्री को शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में शामिल होने से हतोत्साहित करने की कोशिश की. अटकलें हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों में भाग्यश्री और उनके पिता के बीच मुकाबला हो सकता है.

'पिता से ज्यादा प्यार नहीं करता..'

अजित पवार ने कहा, 'कोई भी बेटी को उसके पिता से ज्यादा प्यार नहीं करता. अब तुम अपने पिता के खिलाफ लड़ने जा रही हो, क्या यह सही है. तुम्हें अपने पिता का समर्थन करना चाहिए और उन्होंने जीतने में मदद करनी चाहिए क्योंकि केवल वह ही क्षेत्र का विकास करने की क्षमता और दृढ़ता रखते हैं. समाज कभी भी अपने परिवार को तोड़ने को स्वीकार नहीं सकता'. अजित पवार ने आगे कहा, समाज इसे पसंद नहीं करता. मैंने यही अनुभव किया है अपनी गलती स्वीकार की है.

 4 में से 3 सीटों पर हार का सामना 

बता दें कि अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को लोकसभा चुनावों में 4 में से 3 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, जिसमें बारामती भी शामिल है, वहीं शरद पवार के नेतृत्व वाली धड़े ने 10 में से 8 सीटें जीती.