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दो तिहाई बहुमत...10 दिन से महाराष्ट्र में CM पद पर सस्पेंस, शिंदे के बाद अजीत पवार का खेला शुरु

महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने खराब स्वास्थ्य के कारण नई सरकार के गठन पर चर्चा के लिए महायुती नेताओं के साथ अपनी बैठकें रद्द कर दीं, जिससे पिछले महीने गठबंधन की भारी जीत के बाद से 10 दिनों से जारी गतिरोध और बढ़ गया.

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Edited By: Mayank Tiwari
Ajit Pawar With Eknath Shinde
Courtesy: X@mieknathshinde And X@AjitPawarSpeaks

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर गतिरोध जारी है, क्योंकि कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अस्वस्थ होने के कारण आज अपनी बैठकें रद्द कर दीं, जबकि राकांपा नेता अजित पवार सरकार गठन को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मिलने के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, जिन्हें विभागों के बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए महायुति नेताओं की बैठक में भाग लेना था, गले में संक्रमण और बुखार से पीड़ित हैं. वे अपने आधिकारिक निवास वर्षा पर वापस नहीं लौटे और इस हफ्ते में अपने पैतृक गांव सतारा में ही रहे, क्योंकि उनकी तबीयत खराब थी. चूंकि, बैठक मंगलवार को होनी है.

निर्मला सीतारमण और विजय रुपाणी को ऑब्जर्वर के तौर पर मिली जिम्मेदारी

विधानसभा में बीजेपी की बेहतर संख्या को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बन सकते हैं. इस बीच, अजित पवार बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मिलने के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं और उनके साथ महाराष्ट्र सरकार गठन और विभागों के बंटवारे पर चर्चा करेंगे. इसके अलावा बीजेपी आलाकमान ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को महाराष्ट्र के लिए पार्टी का केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.

 

शिवसेना BJP के बैठक का कर रही इंतजार

हालांकि, शिवसेना सूत्रों ने दावा किया कि महायुति नेताओं के बीच आज कोई बैठक तय नहीं है. साथ ही कहा है कि पार्टी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी, बीजेपी की ओर से बैठक तय किए जाने का इंतजार कर रही है. उधर, बीजेपी, शिवसेना और अजित पवार की अगुआई वाली एनसीपी वाली महायुति ने 20 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 में से 230 सीटें जीतकर जीत दर्ज की. 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए गए. इस दौरान बीजेपी ने रिकॉर्ड 132 सीटें हासिल कीं, जबकि शिवसेना को 57 और एनसीपी को 41 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है.