Maratha Quota Bill: महाराष्ट्र में आरक्षण की मांग कर रहे मराठी समुदाय के लोगों के लिए अच्छी खबर है. महाराष्ट्र कैबिनेट ने आज यानी मंगलवार को मराठियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का सुझाव देने वाली रिपोर्ट के मंजूरी दे दी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सदन में आज ही मराठा आरक्षण से संबंधित विधेयक को पेश किया जाएगा.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने मंगलवार को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% मराठा आरक्षण के विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी. महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि मराठा समुदाय सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग है. उसे शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए.
#WATCH | Mumbai: Before the special assembly session in the Maharashtra Assembly to pass the Maratha Reservation Bill, Maharashtra CM Eknath Shinde, Deputy CM Devendra Fadnavis and Ajit Pawar garlanded the statue of Chhatrapati Shivaji Maharaj. pic.twitter.com/5i3SWkiPLS
— ANI (@ANI) February 20, 2024
महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को अपनी सुझाव वाली रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट में आयोग ने कहा था कि मराठा समुदाय को भारत के संविधान के अनुच्छेद 342ए(3) के तहत निर्दिष्ट किया जाना चाहिए. साथ ही इस समुदाय को आरक्षण दिया जाना चाहिए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य के 84 प्रतिशत मराठा संपन्न नहीं हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक सेवाओं में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में 10 प्रतिशत आरक्षण जरूर मिलना चाहिए. पिछले हफ्ते सीएम शिंदे ने दावा किया था कि उनकी सरकार अन्य समुदायों के आरक्षण में किसी भी तरह का बदलाव किए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण देगी.
मनोज जारंगे पाटिल के नेतृत्व में मराठा समुदाय ओबीसी श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा था. मराठा आरक्षण विधेयक सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 की ही तरह है, जिसे तत्कालीन सीएम देवेंद्र फड़नवीस की ओर से पेश किया गया था. महाराष्ट्र में पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% कोटा है जिसमें मराठा सबसे बड़े लाभार्थी हैं, जो 85% आरक्षण का दावा करते हैं. पिछड़ा वर्ग आयोग ने 23 जनवरी को पूरे महाराष्ट्र में साढ़े तीन लाख से चार लाख राज्यकर्मियों के साथ सर्वे शुरू किया था. आयोग ने करीब 2.5 करोड़ परिवारों का सर्वे किया.
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने रिपोर्ट दी है कि मराठा समुदाय की आबादी 27 फीसदी है. इसके लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ढाई करोड़ परिवारों का सर्वे किया. उसके आधार पर मराठा समुदाय समझता है कि विधेयक में नौकरियों में 12 प्रतिशत और शिक्षा में 13 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. हालांकि, इससे सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा पार हो जाएगी. ऐसे में देखना होगा कि राज्य सरकार क्या कदम उठाती है ताकि यह आरक्षण कानूनी कसौटी पर खरा उतर सके.
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में मराठा समुदाय के रीति-रिवाज, परंपराएं आदि दर्ज हैं. रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि मराठा समुदाय के युवाओं के पास शिक्षा और सरकारी नौकरियों में पर्याप्त अवसर नहीं हैं. किसान आत्महत्याओं में मराठा समुदाय का अनुपात भी बताया गया है. कई मराठा परिवारों की आर्थिक स्थिति ख़राब है और समुदाय का एक बड़ा वर्ग सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा हुआ है. इसलिए रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि मराठा समुदाय को आरक्षण की जरूरत है.