menu-icon
India Daily

45 साल से रुका था नार पार नदी जोड़ो प्रोजेक्ट, देवेंद्र फडणवीस ने दी रफ्तार

महाराष्ट्र एक कृषि प्रधान राज्य है जो सिंचाई पर बहुत अधिक निर्भर है. हालांकि कई क्षेत्रों, विशेषकर वर्षा छाया क्षेत्र में किसानों को गंभीर जल संकट और सूखे का सामना करना पड़ता है. सूखे और गंभीर जल संकट के कारण हर साल महाराष्ट्र में कई किसान आत्महत्या कर लेते हैं  या पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं

auth-image
Edited By: India Daily Live
Devendra Fadnavis
Courtesy: @Dev_Fadnavis

Maharashtra News: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही ना हुआ हो लेकिन राज्य में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शिंदे सरकार प्रदेश वासियों के हित में दनादन फैसले ले रही है. रविवार को महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए जिसमें नार-पार-गिरणा नदी जोड़ो परियोजना और राज्य के किसानों को दिन में निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति सहित 19 महत्वपूर्ण फैसले शामिल हैं.

45 सालों से अटकी पड़ी थी परियोजना

बता दें कि नार-पार-गिरणा परियोजना 45 सालों से अटकी पड़ी थी. डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस परियोजना को पुनर्जीवित करने के लिए कही महत्वपूर्ण कदम उठाए और आज आखिरकार इस परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए सरकार ने ऐलान कर दिया.

हर साल गंभीर जल संकट और सूखे से जूझता है महाराष्ट्र

महाराष्ट्र एक कृषि प्रधान राज्य है जो सिंचाई पर बहुत अधिक निर्भर है. हालांकि कई क्षेत्रों, विशेषकर वर्षा छाया क्षेत्र में किसानों को गंभीर जल संकट और सूखे का सामना करना पड़ता है. सूखे और गंभीर जल संकट के कारण हर साल महाराष्ट्र में कई किसान आत्महत्या कर लेते हैं  या पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं.

सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि इस परियोजना से स्थानीय लोगों के अधिकारों  से समझौता नहीं किया जाएगा. इसके अतिरिक्त पश्चिम विदर्भ और मराठावाड़ा क्षेत्रों के लिए सिंचाई की अधिक परियोजनाएं प्रस्तावित हैं. इससे पहले फडणवीस ने जलयुक्त शिवार योजना शुरू की थी जिसके सिंचाई की क्षमता बढ़ाने में सकारात्मक परिणाम देखे गए थे.

जल संकट से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

नार-पार-गिरणा नदी जोड़ो परियोजना को मंजूरी मिलना महाराष्ट्र के कृषि क्षेत्रों में लंबे समय से चली आ रही पानी की समस्यों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करते हुए पश्चिम विदर्भ और मराठावाड़ा जैसे क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त सिंचाई के संसाधन देकर सरकार ने काफी हद तक किसानों की समस्या को हल करने का प्रयास किया है.