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महाराजा हरि सिंह की 130वीं जयंती; विरासत को सावर्जनिक मान्यता... डोगरा और राजपूतों के लिए गौरव को दोबारा स्थापित करने का अवसर

Maharaja Hari Singh 130th Birth Anniversary: 24 साल की अर्चना राणा ने कहा कि हमें सांस्कृतिक धरोहर और अधिकारों को सुरक्षित रखने की जरूरत है और अभी तो इसकी शुरुआत हुई है. हमें कुछ ऐसा करना होगा, ताकि ये परंपराएं, सांस्कृतिक धरोहर और हमारे अधिकार लंबे समय तक सुरक्षित रह सकें. 

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: X Post

Maharaja Hari Singh 130th Birth Anniversary: आर्टिकल 370 के कारण लंबे समय तक घाटी में महाराजा हरि सिंह की विरासत का गौरव भरा उत्सव सार्वजनिक रूप से उत्सव के साथ नहीं मनाया जा पा रहा था, लेकिन इस बार घाटी में उनके 130वीं जयंती को धूमधाम से मनाया गया. इस बार के उत्सव ने जम्मू-कश्मीर में खासकर राजपूतों, डोगराओं के बीच एक खास उत्साह का माहौल भर दिया. कहा जा रहा है कि ये सिर्फ उत्सव तक ही सीमित नहीं था, बल्कि हिंदुओं को अपनी पहचान और खोए हुए गौरव को दोबारा स्थापित करने का एक मौका भी था.

दरअसल, महाराजा हरिस सिंह ने 1947 में जम्मू-कश्मीर को भारत में विलय करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था. उनके इस फैसले ने घाटी में हिंदुओं की स्थिति का न सिर्फ मजबूत किया, बल्कि यहां के सांस्कृतिक धरोहरों को भी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 

क्या कहते हैं डोगरा समाज के लोग?

डोगरा समाज के सीनियर नेता रमेश सिंह के मुताबिक, हमारे इतिहास में महाराजा हरि सिंह का अभूतपूर्व योगदान रहा है. उनका जन्मदिन मनाना सिर्फ उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि ये हमारे लिए एक अवसर की तरह है, जिसके जरिए हम अपनी पहचान का, महाराजा हरि सिंह का सम्मान कर सकें.

महाराजा के 130वीं जयंती के मौके पर युवा राजपूत सभा की ओर से भव्य रैली निकाली गई. राजपूत समाज के लोगों ने कहा कि ऐसा करने पहले संभव नहीं हो पाता था. छोटी-मोटी सभाएं या फिर रैलियां जरूर निकाली जाती थीं, लेकिन इतनी भव्यता पहले कभी नहीं होती थी. हमें खुशी है कि महाराजा के विरासत को अब पहचाना जा रहा है, उनके विरासत को सार्वजनिक मान्यता मिल रही है.

युवा राजपूत सभा के सदस्य विवेक सिंह के मुताबिक, 2022 के पहले भव्यता की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, लेकिन आज जब हम इस उत्सव को मना रहे हैं, तो ये बताना जरूरी है कि इसके पीछे काफी लंबा संघर्ष रहा है. संघर्ष के बाद हम अपने इतिहास और गौरव को एक बार फिर प्राप्त कर रहे हैं. हमें इस बात की खुशी भी है.

स्थानीय निवासी बोले- 2019 के बाद बहुत कुछ बदला

जम्मू के रवि सिंह बताते हैं कि 2019 के बाद काफी बदलाव आया है. हम इस उत्सव को बिना किसी भय के सेलिब्रेट कर रहे हैं. हिंदु समुदाय के लिए ये एक नई सुबह की तरह है. एक अन्य स्थानीय बिहारी लाल बहादुर ने कहा कि मेरी उम्र हो चुकी है और मुझे वो दिन भी याद है, जब हम आज के उत्सव को चोरी छिपे या छोटे स्तर पर मनाते थे, लेकिन आज भव्य रैली निकल रही है, शोभायात्रा निकल रही है. ऐसा लग रहा है कि हमारे समुदाय को हमारी खोई पहचान मिल गई है.

एक युवा सुमित चौहान के मुताबिक, महाराजा हरि सिंह के जन्मदिन के उत्सव को मानना हमारी ताकत और गौरव को दर्शाता है. इसके लिए काफी मेहनत की गई है, लेकिन ये सिर्फ शुरुआत है, अभी चरम पर जाना बाकी है. हालांकि, उन्होंने चिंता जताते हुए ये भी कहा कि राहुल गांधी और विपक्ष के अन्य नेताओं ने आर्टिकल 370 की दोबारा बहाली की बात कही है, जो हमारे लिए चिंता की बात है.

डोगरा महासभा के सदस्य बोले- अगर आर्टिकल 370 दोबारा बहाल हुआ तो...

अखिल भारतीय डोगरा महासभा के सदस्य महेश कौल के मुताबिक, अगर आर्टिकल 370 दोबारा बहाल किया गया, तो सबकुछ पहले की तरह हो जाएगा. हमने जितनी प्रगति की है, वो वापस पुराने दौर में पहुंच जाएगा. हमारे अधिकारों और सांस्कृतिक पहचान पर एक तरह से खतरा पैदा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी तो हमने उत्सव मनाया है लेकिन निश्चित तौर पर हमारे सामने एक चुनौती भी है.

उत्सव में शामिल एक युवा राजपूत नंदिता शर्मा ने कहा कि ये उत्सव हमारे लिए उस दिन की तरह है, जब हमें अपनी अगली पीढ़ी को महाराजा हरि सिंह के बारे में बताने का मौका मिलता है. उनके शौर्य और पराक्रम को हमें बताने का मौका मिलता है कि उन्होंने हमारे लिए क्या किया, हम ये उत्सव क्यों मना रहे हैं और हमें इस पर गर्व क्यों होना चाहिए. 

मंदिरों के पुनर्निर्माण पर भी हिंदु समुदायों ने जताई खुशी

उत्सव में शामिल हिंदु समुदाय के लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से यहां हिंदुओं के मंदिरों के पुनर्निर्माण पर भी जोर दिया जा रहा है. ये न सिर्फ आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ाने के लिए बेहतर कदम है, बल्कि ये हमें हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने का भी बड़ा कदम है.

स्थानीय पुजारी पंडित हरिकृष्ण के मुताबिक, कई सालों तक घाटी में मंदिरों की उपेक्षा की गई, लेकिन अब मंदिरों के पुनर्निर्माण ने हमारी उम्मीदों को नई दिशा दी है. हिंदु समुदाय के एक शख्स के मुताबिक, हमें वो दिन याद है, जब हमें यहां दबाया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है.