Delhi: दिल्ली में महिलाओं ने बस पर मुफ्त सफर किया है तो इस सफर ने भी अपना 5 साल का सफर पूरा किया है. महिलाओं ने बचत जोड़े हैं तो बस ने यात्री. महिलाओं ने बचत का इस्तेमाल घरेलू खर्च और इमर्जेंसी फंड के लिए किया है तो बस ने और अधिक महिलाओं को अपने साथ जोड़ा है. मुफ्त सफर के इस सिस्टम ने एक विजन को साकार किया है.
यह विज़न है अरविन्द केजरीवाल का जिन्होंने मुख्यमंत्री रहते महिलाओं के लिए फ्री बस और पिंक टिकट की पहल शुरू की, उन्हें सड़क पर चलने की हिम्मत दी और उनके पर्स में बचत की रकम आने को भी सुनिश्चित किया.
बचत को नकद के समांतर पेश करने की सियासत ‘रेवड़ी’ की आत्मा है. यही शैली नरेंद्र मोदी की 15 लाख नकद सबके अकाउंट में डालने की घोषणा और उसके जुमला करार दिए जाने का जवाब भी है. मुफ्त की योजनाओं के पीछे अरविन्द केजरीवाल ने ‘बचत’ के तौर पर आम जनों को नकद दिखाना शुरू कर दिया है. दिल्ली की महिलाओं को अब ये नकद दिखने लगा है. यही वजह है कि अरविन्द केजरिवाल को भी चुनाव में उनके हक में जादू नज़र आने लगा है. जरा बचत और नकद के अंतर्संबंध को भी फ्री सफर, मोहल्ला बसे और कैश ट्रांसफर के आईन में समझते हैं.
कितना बचा लेती हैं महिलाएं? मुफ्त यात्रा से बीते पांच साल में महिलाओं को 1500 करोड़ रुपये का फायदा तो साफ तौर पर हुआ है. 150 करोड़ बार यात्राएं और हर यात्रा पर प्रति पिंक टिकट 10 रुपये के हिसाब से 1500 करोड़ की रकम बनती है. हर महीने 25 करोड़ रुपए की मुफ्त यात्रा हुई है. न तो दिल्ली की सभी महिलाएं बस में यात्रा करती हैं और न ही यह आंकना आसान है कि किस महिला ने कितनी बार यात्रा की? मगर, बचत हो रही है यह सच है. जितनी यात्रा उतनी बचत, ये है फ्री बस की यात्रा का सच.
फ्री बस ने क्या-क्या दिया?
फ्री बस यात्रा के फायदे को समझना हो तो उसे केवल टिकट पर मुद्रित कीमत के आधार पर नहीं समझा जा सकता. एक महिला मेट्रो से ड्यूटी आती-जाती थी तो उसे 120 रुपये रोज खर्च होते थे. 3600 रुपये महीने का खर्च था. मगर, जब उसने फ्री बस लेनी शुरू की तो उसकी बचत होने लगी और वह सालाना 43,200 रुपये साल में बचने लगे. बचत इस रूप में भी हुए कि कई बार समय पर पहुंचने के लिए टैक्सी, ऑटो का सहारा लेना पड़ता था. अब इसकी जरूरत खत्म हो गयी है. महीने में पांच बार भी ऐसा हुआ तो हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च कोई नहीं रोक सकता था. यानी साल में 12 हजार रुपये की अतिरिक्त बचत भी हुई. ऐसी छोटी-छोटी बचत ने महिलाओं को विश्वास दिया और उसके सकारात्मक नतीजे देखने को मिले.
फ्री बस यात्रा से कई बातें एक साथ हुईँ. ड्यूटी पर जाना महिलाओं के लिए आसान हुआ. समय की बचत हुई. समय का सदुपयोग हुआ. इन सबका ही परिणाम हुआ कि 15 प्रतिशत महिलाएं बढ़ गईं और पिंक टिकट अधिक उपयोग हुए. 23 प्रतिशत महिलाओं ने तो नियमित बस सफर का आनंद लिया और फ्री बस सेवा का उपयोग किया. निश्चित रूप से ये कामकाजी महिलाएं हैं और फ्री बस से उनके कामकाज पर सकारात्मक असर पड़ा होगा.
फ्री बस ‘इम्पैक्ट’
महिलाओं में फ्री बस सेवा का इम्पैक्ट समझिए कि ग्रीन पीस के एक सर्वे में 88 फीसदी महिलाएं मानती हैं कि बस का उपयोग बढ़ा है. इसी तरह 87 फीसदी महिलाएं इस बात के लिए बस के उपयोग बढ़ जाने के लिए धन्यवाद देती हैं कि उन्हें लंबी दूरी तक अब उन्हें पैदल चलना नहीं पड़ता. 75 फीसदी महिलाओं ने महसूस किया कि अब उन्हें परिवहन पर मासिक खर्च पहले की तरह नहीं करना पड़ता है. इसमें गिरावट आयी है. इनमे से कई महिलाएं अब परिवहन पर केवल हजार रुपये खर्च कर रही हैं.
मुफ्त बस के उपयोग से जो बचत हुई उसका इस्तेमाल 55 प्रतिशत महिलाओं ने घरेलू खर्च में किया. 50 फीसदी महिलाओँ ने उसे इमर्जेंसी फंड में रख लिया. महिलाओँ को और सुरक्षा का अहसास होगा अगर उन्हें महिला कंडक्टर मिलेंगी. नियमित रूप से और समय पर बस का परिचालन होगा. इसके अलावा रूट की सही-सही जानकारी पहले से दी जाएगी. महिलाओं को अब भी नियमित रूप से बस पकड़ने के लिए 15 से 20 मिनट तक पैदल सफर करना होता है. इस जरूरत को समझते हुए आम आदमी पार्टी की सरकार ने मोहल्ला बसों को शुरू करने का फैसला किया है.
फ्री सफर को गोल्डन बनाएंगी मोहल्ला बसें
मोहल्ला बसें महिलाओं को बस स्टैंड तक कनेक्ट करेंगी. इस वजह से बहुत सारी दिक्कतों का सामना करने से महिलाएं बच सकेंगी. दिल्ली सरकार ने 140 मोहल्ला बसों को सड़क पर उतारा है. एक बस में 36 यात्री सफर कर सकते हैं. इस तरह एक ट्रिप में यानी आना और जाना मिलाकर 140 बसें 10,080 यात्रियों का ला और पहुंचा सकेंगी. ये बसें सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 16 घंटे उपलब्ध रहा करेंगी. मोहल्ला बसें महिलाओं की सुरक्षा के नजरिए से ज्यादा अहम है. फ्री बस यात्रा के लिए पैदल चलने से उन्हें मोहल्ला बसें ही छुटकारा दिलाएंगी.
महिलाओं की जेब में बचत के पैसे जमा हों तो वो क्यों नहीं सहूलियत के दिल्ली मॉडल को स्वीकार करें, क्यों नहीं वे इन सुविधाओं का नजरिया लेकर आए अरविन्द केजरीवाल के लिए मन में नरमी रखें. महिला वोटर पहले भी आम आदमी पार्टी की सफलता के बड़े कारण रहे हैं. एक बार फिर कहानी दोहराई जा सकती है. अरविन्द केजरीवाल ने मुफ्त की सियासत को सहूलियत और जरूरत को जोड़कर आम जिन्दगी का अभिन्न हिस्सा बना दिया है. ‘रेवड़ी’ कहकर इन सहूलियतों का अपमान नहीं किया जा सकता. ऐसा करने वालों को सियासी रूप से नुकसान ही होगा.
अरविन्द केजरीवाल ने महिलाओं के पास नकद रहें, इसकी जरूरत को समझा और उन्होंने उनके खाते में हर महीने हजार रुपये देने की घोषणा कर दी. इससे भी आगे अरविन्द केजरीवाल ने एलान किया है कि वे अगर दोबारा सत्ता में आते हैं तो महिलाओं के खाते में 2100 रुपये देने का प्रबंध करेंगे. इन घोषणाओं ने महिलाओँ को छोटी-मोटी नौकरी मिलने का अहसास कराया है. यही अहसास महिलाओं की आवाज़ भी बुलंद करेगा. फिलहाल दिल्ली की सियासत में महिलाएं बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार नज़र आती हैं.
प्रेम शंकर सिंह, वरिष्ठ पत्रकार