PM Modi Birthday: मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 74वें जन्मदिन पर उत्तर प्रदेश में 74 चयनित मदरसे भाजपा के अल्पसंख्यक संपर्क अभियान का केंद्र बनेंगे. बीजेपी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने अपने अल्पसंख्यक विंग को यह अभियान चलाने का काम सौंपा है. इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय से कम से कम 7,400 सदस्यों (प्रत्येक मदरसे के अंदर और आसपास के 100लोगों) को बीजेपी में शामिल करना है.
ये 74 मदरसे मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, मेरठ, अलीगढ़, अमरोहा और आगरा जिलों में स्थित हैं. बस्ती और बहराइच जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों को भी इस अभियान के तहत शामिल किया जाएगा.इस बात की पुष्टि करते हुए यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक विंग के प्रमुख बासित अली ने कहा कि यह अभियान पार्टी के सदस्यता अभियान का हिस्सा है. इसका उद्देश्य जाति और धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर लोगों को जोड़ना है.
उन्होंने कहा कि पार्टी इस बात पर जोर देगी कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने न केवल विभिन्न कल्याणकारी उपायों के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदाय को सशक्त बनाया है, बल्कि लगभग 56 इस्लामी देशों के साथ भारत के संबंधों को भी बढ़ाया है.बीजेपी अल्पसंख्यक विंग द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, यह अभियान 17 सितंबर से 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) के बीच चलाया जाएगा. इसमें मदरसों और दरगाहों (मंदिरों) में और उसके आसपास कार्यक्रम आयोजित करना शामिल होगा, जबकि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों और प्रभावशाली सूफी नेताओं तक पहुंच बनाई जाएगी.
बीजेपी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी कम चर्चित संगठनों जमात उलमा ए हिंद और उलमा फाउंडेशन (यूएफ) की मदद लेने की योजना बना रही है. यह बीजेपी का समर्थन करते रहे हैं. दरअसल, जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुहैब कासमी भाजपा के सदस्य हैं. इसी तरह यूएफ भी काफी समय से भाजपा का समर्थन कर रहा है. दो साल पहले ही यूएफ प्रमुख मौलाना कोकब मुजतबा ने दावा किया था कि भाजपा का समर्थन करने के कारण उन्हें जान से मारने की धमकी मिली है.
राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के प्रति भाजपा का आउटरीच अभियान आगामी 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों और उसके बाद 2027 के राज्य चुनावों से पहले अल्पसंख्यक समर्थन पर विपक्ष की निर्भरता का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है. यह देखते हुए कि मुस्लिम समुदाय ने पारंपरिक रूप से भगवा पार्टी से खुद को दूर रखा है, यह पहल भाजपा की जुड़ाव रणनीति में बदलाव का संकेत देती है.