उज्जैन के महाकाल मंदिर में, महाकाल के सेवक सत्य नारायण सोनी का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उनकी आवाज ही उनकी पहचान थी. भगवान की जैसे ही भस्म आरती होगी, वे कहते, 'भगवान को भस्म चढ़ रही है, महिलाएं घूंघट कर लें.' लोग इस आवाज को सुनने के लिए बेताब रहते थे, अब यह आवाज सदा के लिए मौन हो गई है.
धुलेंडी उत्सव के दौरान महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भीषण आग लग गई थी. वे बुरी तरह से झुलस गए थे. इस उम्र में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार दूसरे घायलों को भागने के लिए कहते रहे. उनका इलाज चला लेकिन सफर पूरा होगा.
सत्यनारायण सोनी का अंतिम संस्कार उज्जैन के किनारे शिप्रा नदी पर हुई. उनके बेटे राजेश सोनी ने उनका अंतिम संस्कार किया. उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि उज्जैन का प्रशासन और पुलिस उन्हें अंतिम विदाई देने उमड़ पड़ा.
"भगवान को भस्म चढ़ रही है,
— Jagdish Devda (मोदी का परिवार) (@JagdishDevdaBJP) April 11, 2024
महिलाएं घूंघट कर लें.."
करीब 45 साल से बाबा महाकाल की सेवा में लीन सत्यनारायण सोनी जी की ये आवाज़ अब नंदी हॉल में नहीं गूँजेगी..अपने इस सच्चे सेवक को सर्वेश्वर निश्चित ही शिवरूप कैवल्य प्रदान करेंगे। जय श्री महाकाल!! pic.twitter.com/lFCc90Eh9b
कैसे हुई सत्यनारायण सोनी की मौत?
उज्जैन अग्निकांड में बुरी तरह से झुलस गए थे. उनका शरीर उम्र संबंधी परेशानियों को झेल रहा था, कई जगह गहरे घाव हो गए थे. ट्रीटमेंट के 13वें दिन वे रिकवर नहीं कर पाए और कई बीमारियों के शिकार हो गए.
हमेशा खलेगी उनकी कमी
उज्जैन मंदिर में महाकाल को भस्म आरती तभी शुरू होती, जब वे उद्घोष करते थे. वे नंदी हॉल से कहते, 'महिलाएं घूंघट कर लें, भस्म आरती हो रही है.' उनकी एक पहचान बन गई थी. हमेशा लोगों को उनकी कमी अब खलेगी.