मुआवजे की लालच, कानून का लाभ और तगड़ा मुनाफा. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के एक हाई प्रोजेक्ट में ऐसी धांधली हुई है, जिसे सुनकर आप सिर पीट लेंगे. हजारों करोड़ के इस प्रोजेक्ट में मुआवजे के लिए लोग फर्जी घर बना रहे हैं और सरकार के मुआवजे की मांग कर रहे हैं. यहां जमीनें सिर्फ यूपी और मध्य प्रदेश के लोगों ने ही नहीं खरीदी हैं, बिहार तक के लोग आकर जमीन खरीदकर अब मुंहमांगा मुआवजा मांग रहे हैं.
सिंगरौली जिले में प्रशासन के लिए ये हैरान करने वाला ट्रेंड है. साल 2016 में ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन प्रोजेक्ट के लिए 6,672 करोड़ रुपये के बजट आवंटित किया गया. प्रोजेक्ट रुका तो रेलवे का काम ठप पड़ गया. यहां सड़क तो नहीं बनी लेकिन नया शहर बस गया. लोगों ने धांधली करके इस रूट पर हजारों घर बना लिए. ऐसा लग ही नहीं रहा है कि यहां कभी खेत रहा होगा. लोगों ने ईंट-सीमेंट की छत डालकर दीवारें खड़ी कर लीं.
अगर ये कहें कि इस रूट पर मुआवजा, उद्योग बन गया है तो गलत नहीं होगा. यहां के स्थानीय लोग इन घरों को मुआवजा घर बुलाने लगे हैं. पूरे रूट पर रातोरात घर खड़े किए जा रहे हैं. इन घरों में कोई नहीं रहता लेकिन इन्हें बानकर तैयार कर दिया गया है. सिंगरौली-प्रयागराज नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट लोगों के लिए पैसों का पेड़ बन गया है.
33 गांवों में खत्म हो गए खेत, सिर्फ लाइन से नजर आ रहीं इमारतें
एक महीने के भीतर हरे-भरे 33 गावों के खेतों में घर ही घर नजर आए हैं. ये सभी घर नए बने हुए हैं. इन्हें सिर्फ मुआवजे के लिए ही बसाया गया है. रेलवे प्रोजेक्ट के लिए भी ये सबसे बड़ी बाधा बन गए हैं. स्थानीय नेताओं और अधिकारियों का कहना है कि इस क्षेत्र में भू-माफिया सक्रिय हैं. वे किसानों से सस्ती कीमतों पर जमीनें खरीदते हैं और उन जमीनों पर घर बनाकर मुंहमांगी कीमतों पर बेचते हैं.
6 साल में यूपी के 22 गावों में ऐसे घरों एक झटके में बने हैं. सीढ़ी में 91 गांवों में ऐसे ही घर बनाए गए हैं. इन गांवों में ज्यादातर आबादी वही है, जिसके लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाना भी बेहद मुश्किल होता है. इन इलाकों की बहुसंख्यक आबादी बैगा जनजाति है, उन्हें इस स्कीम के बारे में पता है लेकिन वे कुछ कर ही नहीं सकते हैं. यहां बड़े स्तर पर धांधली हो रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यहां ज्यादातर बाहरी लोग हैं. इन लोगों ने यहां जमीनें खरीदीं और घर बसाने लगे. बैगा जनजाति के लोगों का कहना है कि उनका शोषण किया जा रहा है. उन्होंने स्थानीय लोगों से करार कर लिया है कि 25 प्रतिशत मुआवजा वे हड़प लेंगे और बाकी किसानों को मिलेगा.
मुआवजा घर का ढहना ही है भविष्य
रेलवे ट्रैक, 22 गावों से गुजरेगा. सिंगरौली जिले के देवसार और चितरंगी ब्लॉक के भीतर ये रूट पड़ रहा है. भू अधिग्रहण अधिकारियों ने मुआवजा अलॉट कर लिया है. करीब 2166 घरों को मुआवजा आवंटित किया जाना है लेकिन रातोरात 1500 नए मुआवजा घर तैयार कर लिए गए हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि इन घरों को बनाने वाले बाहरी लोग हैं. वे बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोग हैं, यहां आकर घर बना लिए हैं. धनी लोग यहां निवेश कर रहे हैं और घर बसा रहे हैं. स्थानीय लोगों को धोखा दिया जाता है, उन पर दबाव बनाया जा रहा है. बाहरी लोग अपने नाम से रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, स्थानीय लोगों से पैसे देने का करार कर रहे हैं.
सिंगरौली जिला, मुआवजे के भ्रष्टाचार के लिए जाना जाता है. यहां ऊर्जा कंपनियों का डेरा है. यहां मुआवजे के लिए अपराधियों का एक संगठित गिरोह काम करता है. यह गैंग, लोगों पर दबाव बनाता है, उनके नाम पर मुआवजा हासिल करता है, या जमीनें ही खरीद लेता है. इन्हें किसी योजना के आने से पहले ही पता चल जाता है कि कहां कौन सा प्रोजेक्ट आ सकता है. ये प्रोजेक्ट की राह में ही घर बनाते हैं और मुआवजा मांगते हैं.
स्थानीय लोगों ने भी यहां घर बनाए हैं. जो घर नहीं बना सकते हैं, उनसे 25 प्रतिशत कमीशन मागंकर घर बनवाए गए हैं. दलाल खुलकर, यहां घर और जमीन बनवाने का दावा करते हैं. यहां जगह-जगह एजेंट सक्रिय हैं और मुआवजे के लिए कतार में खड़े हैं.
ज्यादार घर ऐसे हैं, जहां कोई नहीं रहता है. अधिकारी बार-बार कह रहे हैं जो नए निर्माण हुए हैं, वहां कोई मुआवजा नहीं मिलेगा, फिर भी लोग अंधाधुंध निर्माण कर रहे हैं. यहां बाहरी लोगों ने घर बनाए हैं. जिन घरों में बिजली का बिल आता है, पानी आता है, वहीं मुआवजा दिया जाएगा. नए निर्माणों को मुआवजा नहीं मिलेगा. यहां के डिप्टी कलेक्टर माइकल टिर्की ने भी यह साफ कर दिया है.
सिंगरौली-ललितपुर रेलवे लाइन प्रोजेक्ट में सामूहिक भ्रष्टाचार हुआ है, जिसमें जनता लिप्त है. जहां फर्जी घर बने हैं, वह आदिवासियों की जमीने हैं. बिना सही रजिस्ट्रेशन के ही मुआवजा मांगा जा रहा है. स्थानीय लोगों और माफियाओं को मुआवजा भी दिया जा रहा है.
रेलवे प्रोजेक्ट के दौरान पन्ना जिले के केवल 32 गांवों में 41 घर बने थे. सिंगरौली के 22 गांवों में 4700 घर बनकर खड़े हो गए. इन घरों के लिए मुआवजा मांगा जा रहा है. पाबंदी के बाद भी निर्माण नहीं थमा है. यहां प्रशासन भी सवालों के घेर में है. मुआवजा उद्योग में भ्रष्टाचार फलफूल रहा है. सरकार, सब देख रही है. कई अखबार इस बारे में लिख रहे हैं. लोगों को पारदर्शिता की उम्मीद है.