श्योपुर के रास्ते शिवराज का सत्ता पर निशाना! आखिर 'इथोपिया' क्यों जा रहे मामा?
भाजपा आलाकमान के बुलावे पर ही शिवराज सिंह चौहान दिल्ली जाएंगे. ऐसा करने की पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि इससे शिवराज का पार्टी के प्रति समर्पण और अनुशासन का संदेश देना है.
Madhya Pradesh CM name suspense remains: मध्य प्रदेश में मिली जीत के बाद भाजपा उत्साहित है, हालांकि 3 दिसंबर को नतीजे आने के बाद अब तक मुख्यमंत्री के चेहरे के ऐलान नहीं हो पाया है. एक ओर राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नेता भाजपा आलाकमान के पास जाकर सीएम बनने की महत्वकांक्षा लेकर पहुंच रहे हैं, वहीं शिवराज सिंह चौहान इन सभी बातों से दूर मध्य प्रदेश में ही डेरा जमाए हुए हैं. शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को छिंदवाड़ा दौरे पर थे. अब वे आज देश के इथोपिया कहे जाने वाले श्योपुर का दौरा करेंगे. सवाल ये कि क्या शिवराज सिंह चौहान श्योपुर के जरिए सत्ता पर निशाना साध रहे हैं?
कहा जा रहा है कि भाजपा आलाकमान के बुलावे पर ही शिवराज सिंह चौहान दिल्ली जाएंगे. ऐसा करने की पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि इससे शिवराज का पार्टी के प्रति समर्पण और अनुशासन का संदेश देना है. वे दिल्ली न पहुंचकर प्रदेश से ही अपनी दावेदारी को मजबूत करने में जुटे हैं.
क्या है शिवराज का 'मिशन 29'
दरअसल, 2024 यानी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने 'मिशन 29' की शुरुआत कर दी है. 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं. इन सभी सीटों पर आगामी लोकसभा चुनाव में शिवराज फतह चाहते हैं. बुधवार को छिंदवाड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की जनता से राज्य की सभी 29 सीटों पर भाजपा को जीत दिलाने की अपील की. इसके तहत वे राज्य के उन विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं, जहां विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार मिली है.
छिंदवाड़ा जिले की सभी सात सीटों पर भाजपा को हार मिली, जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को छिंदवाड़ा दौरे पर थे. भाजपा को श्योपुर जिले की दोनों सीटों पर भी हार मिली है. ऐसे में शिवराज आज श्योपुर के दौरे पर रहेंगे. बता दें कि श्योपुर को भारत का इथोपिया कहा जाता है. वजह है- यहां कुपोषित बच्चों की संख्या पूरे देश में सबसे ज्यादा है. इसके अलावा, श्योपुर कूनो नेशनल पार्क के लिए भी जाना जाता है. जहां पिछले दो सालों में साउथ अफ्रीका और नामीबिया से चीते लाकर छोड़े गए थे.
छिंदवाड़ा और श्योपुर की सीटें जहां भाजपा को मिली हार
भाजपा को छिंदवाड़ा जिले की 7 विधानसभा सीटों पर हार मिली है. कुल मिलाकर छिंदवाड़ा को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ कहा जाता है. विधानसभा चुनाव के नतीजे भी यही साबित करते हैं. कमलनाथ ने न सिर्फ छिंदवाड़ा सीट से खुद जीते, बल्कि उन्होंने जिले की अन्य सभी 6 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत भी दिलाई.
छिंदवाड़ा: कमलनाथ ने छिंदवाड़ा विधानसभा सीट पर 35 हजार के अधिक वोटों के अंतर से बीजेपी के प्रत्याशी विवेक बंटी साहू को हराया.
अमरवाड़ा: कांग्रेस के कुंवर कमलेश शाह ने बीजेपी प्रत्याशी मोनिका बट्टी को 25,086 वोटों से शिकस्त दी.
परासिया: कांग्रेस के सोहन बाल्मिक ने भाजपा की ज्योति डेहरिया को 1792 वोटों से हराया.
जुन्नारदेव: सुनील उईके ने 2885 वोटों से भाजपा के नत्थन शाह को हराया.
सौंसर: विजय चौरे ने 11 हजार वोटों से भाजपा के नानाभाऊ मोहोड़े को हराया.
पांढुर्णा: कांग्रेस के नीलेश उईके ने भाजपा प्रत्याशी प्रकाश उईके को 10,457 वोटों से हराया.
चौरई: कांग्रेस के चौधरी सुजीत सिंह ने भाजपा के लखन वर्मा को 8134 वोटों से हराया.
श्योपुर की दो सीटें जहां भाजपा हारी
श्योपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के बाबू जंडेल ने भाजपा प्रत्याशी दुर्गालाल विजय को हराया. वहीं, विजयपुर विधानसभा सीट से रामनिवास रावत ने बाबूलाल मेवरा को हराया. बता दें कि हरदा जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर भी भाजपा को हार मिली है. यहां पूर्व की शिवराज कैबिनेट में मंत्री रहे कमल पटेल को हरदा सीट से हार मिली. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी आरके दोगने ने हराया, जबकि टिमरनी सीट से भाजपा के संजय शाह कांग्रेस के अभिजीत शाह से हार गए. बता दें कि संजय शाह अभिजीत शाह के चाचा हैं.
श्योपुर में कुपोषण का कहर!
श्योपुर में हर वर्ष कुपोषण के चलते जिले में कई मासूम काल के गाल में समा जाते हैं. इसके बावजूद किसी भी चुनाव में कुपोषण कोई मुद्दा नहीं होता. साल 2022 में महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े सामने आए थे. आंकड़ों के मुताबिक, श्योपुर जिले में 823 बच्चे कुपोषित और 243 गंभीर कुपोषित मिले थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश सरकार राज्य के हर 0 से 6 साल के बच्चे के पालन-पोषण पर प्रतिदिन 8 रुपये खर्च कर रहा है. श्योपुर में इस एज ग्रुप वाले बच्चों की संख्या करीब 90 हजार है.
राज्य सरकार की महिला बाल विकास विभाग ने 0 से 6 साल के बच्चों के पालन पोषण के लिए इन्हें दो वर्गों में बांट दिया है. पहले में 0 से 3 जबकि दूसरे वर्ग में 3 से 6 साल के बच्चे शामिल हैं. 0-3 साल के बच्चों के लिए 650 ग्राम का 'पोषण आहार पैकेट' हर हफ्ते मंगलवार को बांटा जाता है. वहीं, 3 से 6 साल के बच्चों के लिए 'पोषण आहार का पैकेट' आंगनवाड़ी में बांटा जाता है. बच्चों के पोषण आहार पैकेट में दलिया, खिचड़ी, बेसन का हलवा आदि शामिल होता है.