Loksabha Election 2024: BJP की दूसरी लिस्ट के बीच बिहार में बन गई बात, नरेंद्र मोदी के हनुमान ने सुनाई सीट शेयरिंग की खुशखबरी
Loksabha Election 2024: बीजेपी की ओर से आगामी चुनाव के मद्देनजर आज दूसरी सूची भी जारी कर दी गई है. बीजेपी की लिस्ट में एक भी नाम बिहार से नहीं है लेकिन दूसरी लिस्ट के बीच चिराग पासवान ने यह कंफर्म कर दिया है कि बिहार में सीटों का फॉर्मूला तय हो गया है.
Loksabha Election 2024: भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बुधवार (13 मार्च 2024) को अपने 72 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. पहली लिस्ट में बीजेपी ने 195 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया था और दूसरी लिस्ट में जाने के बाद कुल कैंडिडेट्स की संख्या 267 हो गई है, हालांकि इसमें से एक भी नाम बिहार से नहीं है. बिहार में अभी भी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर चर्चा चल रही है और उम्मीद है कि तीसरी लिस्ट में बिहार के उम्मीदवारों के नाम का भी ऐलान किया जाएगा.
इस बीच जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने सोशल मीडिया से कुछ ऐसे संकेत दिए हैं जिससे साफ है कि बिहार में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तैयार हो गया है. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले दिवंगत राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के लिए बिहार में सीटों का समीकरण सुलझा लेना एक बड़ी जीत है जिसका ऐलान उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से किया.
सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया गया- चिराग
अपने ट्विटर हैंडल पर लिखते हुए चिराग पासवान ने कहा,'एनडीए के साथी दल के रूप में, आज बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी के साथ बैठक हुई और हमने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बिहार में सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है.'
दिलचस्प बात यह है कि गठबंधन की घोषणा करते समय चिराग ने पीएम मोदी को गठबंधन के अंदर उनकी पार्टी के हितों की रक्षा करने के लिए धन्यवाद भी दिया. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी ने राम विलास पासवान के जीवित रहते और उनके निधन के बाद भी उन्हें अपना दोस्त माना. मैं उनका आभारी हूं और मेरी पार्टी का हर कार्यकर्ता उनका आभारी है.'
सीट शेयरिंग में हो रही थी दिक्कत
बिहार में चिराग पासवान के एनडीए के दो प्रमुख सहयोगियों के साथ खट्टे-मीठे रिश्ते रहे हैं और यही वजह है कि सीट शेयरिंग फॉर्मूला तैयार करने में इतनी दिक्कत हो रही थी. एनडीए में जिन सहयोगियों से चिराग पासवान की पार्टी को दिक्कत है उसमें से एक एलजेपी है जो उनके चाचा पशुपति पारस का गुट है और दूसरे सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू है. चिराग को अपने पिता की मौत (2020) के बाद दोतरफा चोट लगी और न सिर्फ गठबंधन में बल्कि पार्टी के अंदर भी कोने में धकेल दिया गया था.
2019 में भी NDA के साथ थे चिराग
उल्लेखनीय है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में लोकजनशक्ति पार्टी एनडीए गठबंधन का हिस्सा रही थी और अपने हिस्से में आई सभी 6 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि एक साल बाद जब 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीट बंटवारे में जेडीयू को प्राथमिकता दी तो वो एनडीए गठबंधन से अलग हो गए. चिराग पासवान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुखर आलोचक बन गए और कई सीटों पर जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे. इसके चलते जेडीयू ने पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया और गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.
2020 में लगा था दोहरा झटका
चिराग को दूसरा झटका तब लगा जब उनके चाचा पशुपति पारस ने उनके पिता रामविलास पासवान के बाद पार्टी को हथियाने की कोशिश की और जब बात नहीं बनी तो 2021 में विद्रोह कर दिया. इसके चलती पार्टी दो गुट में बंट गई और दिक्कत तब बढ़ी जब बीजेपी ने अलग हुए गुट को मान्यता देते हुए पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री बना दिया.
खुद को बताते हैं नरेंद्र मोदी का हनुमान
इसको देखते हुए चिराग ने सीट-बंटवारे के समझौते में अपनी पार्टी की चिंताओं को सुनने और स्वीकार करने के लिए बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा को धन्यवाद दिया. चिराग पासवान ने पिछले 5 साल में भले ही चाचा पारस और सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार सवाल उठाने का काम किया लेकिन कभी भी पीएम मोदी की निंदा नहीं की. चिराग ने हमेशा पीएम की भरपूर प्रशंसा की और अक्सर खुद को उनका भक्त कहते हुए "नरेंद्र मोदी का हनुमान" बताया.
आज के समझौते के बाद, जब पारस के नेतृत्व वाले गुट के भाग्य के बारे में पूछा गया, तो चिराग ने कहा कि यह उनकी चिंता का विषय नहीं है और साफ संकेत दिया कि पारस के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के दावों को बीजेपी ने नजरअंदाज कर दिया है. चिराग पासवान ने कहा कि जो सीटें मेरी पार्टी के पास हैं, वे मेरी हैं. हालांकि अभी तक सीट शेयरिंग की डिटेल्स की आधिकारिक जानकारी नहीं आई है.
किस दल को कितनी सीटें
लेकिन सूत्रों की मानें तो बिहार में बीजेपी को 17-18 सीट, JDU को 14 सीट, LJP के दोनों गुट को 5-6 सीट, जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को एक-एक सीट दिए जा सकते हैं. इस दौरान यह देखना मजेदार होगा कि हाजीपुर लोकसभा सीट किसे मिलती है, जिसका प्रतिनिधित्व राम विलास पासवान ने 8 बार किया था. हाजीपुर से राम विलास पासवान की राजनीतिक विरासत पर वर्तमान सांसद पशुपति पारस और चिराग दोनों ने दावा किया है.
गौरतलब है कि बीजेपी के लिए नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के साथ चिराग और बिहार के मुख्यमंत्री के बीच चल रहे खटास भरे संबंधों को भी संभालने की चुनौती भी है जो कि खुलेआम एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं. जब जेडीयू के प्रमुख नीतीश कुमार के साथ चिराग पासवान से उनके मतभेदों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कूटनीतिक तरीके से कहा कि एनडीए के सभी साथी दल आगामी लोकसभा चुनाव में 400 सीटों को पार करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम कर रहे हैं.
साफ है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले चिराग को साधना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती का हल जरूर है लेकिन सभी दलों को साथ लाने की चुनौती अभी भी बरकरार है.