Manipur: लोकसभा ने गुरुवार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने की पुष्टि करते हुए एक वैधानिक प्रस्ताव पारित किया. भले ही पार्टी लाइन से हटकर सदस्यों ने इस फैसले का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने मणिपुर की स्थिति के लिए भाजपा शासित केंद्र की आलोचना की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बहस का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने अशांत पूर्वोत्तर राज्य में सामान्य स्थिति वापस बनाने के लिए हर संभव उपाय किए गए हैं.
अमित शाह ने कहा, 'मणिपुर में पिछले 4 महीनों में कोई भी हिंसा नहीं हुई है. मैं यह नहीं कहूंगा कि मणिपुर राज्य में हालत संतोषजनक है लेकिन अब कंट्रोल में है. कांग्रेस पार्टी के पास सद नहीं हैं कि वे अविश्वास प्रस्ताव ला सकें.' उन्होंने यह भी कहा कि शांतिपूर्ण समाधान के लिए मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के साथ बातचीत की गई थी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा, 'कुल मिलाकर स्थिति शांतिपूर्ण है. जब तक लोग कैम्प्स में हैं तब तक स्थिति संतोषजनक है. मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए सरकार हर तरह के संभव कदम उठा रही है. बता दें, मणिपुर हिंसा में 260 लोगों की मौत हो चुकी है. उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद यहां जातीय दंगे शुरू हुए थे.
वह आगे कहते हैं, 'जैसे ही आदेशा आया था हमने हवाई मार्ग से सेंट्रल फोर्स को भेजा. हमारी तरफ से कोई भी देरी नहीं हुई थी. उन्होंने कहा कि वह पिछली सरकारों के कार्यकाल के दौरान मणिपुर में हुई झड़पों के बीच कोई तुलना नहीं करना चाहते, हालांकि उन्होंने लोकसभा को बताया कि 1990 के दशक के दौरान नागा और कुकी समूहों के बीच दंगे पांच साल तक जारी रहे.
उन्होंने कहा, '1997-98 में कुकी-पैटे झड़पें हुईं, जिसमें 352 लोग मारे गए. 990 के दशक में मैतेई-पंगल झड़पों में 100 से ज्यादा लोग मारे गए. न तो तत्कालीन प्रधानमंत्री और न ही तत्कालीन गृह मंत्री ने मणिपुर का दौरा किया. '