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India Daily

Leader Of Opposition Role: लोकसभा के भीतर क्या होते हैं नेता प्रतिपक्ष के अधिकार?

Leader Of Opposition: लोकसभा चुनाव के बाद अब सरकार का गठन हो गया है. मंत्रियों के विभागों के बंटवारे के बाद अब लोकसभा स्पीकर के चुनाव आ गए हैं. नए सत्र में स्पीकर के चुनाव होंगे. इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष और डिप्टी स्पीकर को लेकर चुनाव होगा. ऐसे में आपके मन में भी सवाल आता होगा कि इस पद की  इतनी जरूरत क्या है और लोकतंत्र में लोकसभा के भीतर इनके पास क्या अधिकार होते हैं.

Leader Of Opposition
Courtesy: Lok Sabha

Leader Of Opposition: केंद्र में तीसरी बार NDA की मोदी सरकार सत्ता में आ गई है. सरकार के गठन के बाद 24 जून से लोकसभा का पहला सत्र शुरू होने जा रहा है. इस दौरान लोकसभा स्पीकर चुना जाएगा. इसके अलावा लोकसभा को 10 साल बाद नेता प्रतिपक्ष भी मिल जाएगा. विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के ही किसी नेता को ये पद मिलने वाला है. इनके नाम पर चर्चा चल रही है. आइये इससे पहले हम नेता प्रतिपक्ष के रोल और रिस्पांसिबिलिटी के बे बारे में जानते हैं.

लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन भी सुधरा है. उसे चुनाव में 99 सीटें मिली हैं. इस कारण कांग्रेस नेता ही नेता प्रतिपक्ष बनने वाला है. 2014 और 2019 में ये पद खाली थी. इसके पीछे कारण था कि विपक्ष ने 10 फीसदी सीटें नहीं जीती थी. अब कांग्रेस के पास ये पद होगा तो आइये जानते हैं नेता प्रतिपक्ष के पास क्या अधिकार होते हैं.

नेता प्रतिपक्ष की भूमिका

  • विपक्ष का प्रतिनिधित्व: नेता प्रतिपक्ष विपक्ष का वो नेता होता है जो सरकार के खिलाफ पूरे विपक्ष की तरफ से खड़ा होता है.
  • सरकार को जवाब मांगना: नेता प्रतिपक्ष ही पूरे विपक्ष की तरफ से सरकार पर सवाल खड़े करता है और जवाब मांगता है.
  • सवालो के प्रति जवाबदेही: सत्ता की नीतियों, कार्यों पर सवाल उठाने और उनकी जांच करने साथ पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना
  • बहस का नेतृत्व करना: संसदीय बहसों में, विपक्ष का नेता पहल और नीतियों के खिलाफ विपक्ष के तर्कों और आलोचनाओं का नेतृत्व करता है.
  • नियुक्तियां: विपक्ष के नेता का मुख्य सतर्कता आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त जैसे प्रमुख पदों की नियुक्ति में अहम योगदान होता है.
  • समिति की सदस्यता: महत्वपूर्ण संसदीय समितियों में विपक्ष का नेतृत्व करते हैं. शासन और कानून की निगरानी करते हैं.
  • नीति निर्माण: विपक्ष का नेता नीतिगत चर्चाओं में योगदान देता है और वैकल्पिक प्रस्ताव पेश करता है. इसपर सदम में चर्चा भी होती है.

नेता प्रतिपक्ष की महत्व

  • नियंत्रण और संतुलन: विपक्ष का नेता नीतियों और कार्यों की जांच करके उन पर नियंत्रण के साथ सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन बनाता है.
  • वैकल्पिक आवाज़: नेता प्रतिपक्ष नीतियों और कानून पर एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान देता है. वो ये सुनिश्चित करता है कि विविध दृष्टिकोणों पर विचार हो.
  • विधान पर प्रभाव: कानून पारित करने के लिए बहुमत होने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष बहस, संशोधन के लिए सार्वजनिक दबाव बना सकता है
  • सार्वजनिक जवाबदेही: संसदीय बहसों में सरकार को चुनौती देकर, विपक्ष का नेता उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह बनाता है.
  • प्रतीकात्मक भूमिका: विपक्ष का नेता दर्शाता है कि लोकतंत्र असहमति के बाद भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति सम्मान होना जरूरी है.