menu-icon
India Daily

Lok Sabha Elections 2024: 1991 के बाद पहली बार जून तक बढ़ गए लोकसभा चुनाव, जानें क्या हैं कारण?

Lok Sabha Elections 2024: केंद्र सरकार ने 14 मार्च को दो नए चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को नियुक्त किया. उन्होंने 15 मार्च को कार्यभार संभाला और एक दिन बाद चुनावों की घोषणा की गई.

auth-image
Edited By: India Daily Live
why 2024 Lok Sabha polls extend into June

Lok Sabha Elections 2024: 1991 के बाद पहली बार और देश के चुनावी इतिहास में दूसरी बार है, जब लोकसभा के चुनाव मई के बजाए जून तक बढ़ाए गए हैं. साथ ही 1951-52 में पहले संसदीय चुनाव के बाद 2024 का चुनाव दूसरी सबसे लंबी अवधि वाला है.

लोकसभा का पहला आम चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से लेकर 21 फरवरी 1952 तक 68 चरणों में हुआ था. 70 से अधिक सालों के बाद, 96.8 करोड़ मतदाताओं की रिकॉर्ड संख्या के साथ 2024 का संसदीय चुनाव सबसे लंबा होने वाला है, जो 44 दिनों तक चलेगा. 

इसके पहले, 1991 का आम चुनाव ऐसा था, जो जून तक चला था. उस दौरान ये इसलिए हुआ था, क्योंकि शपथ ग्रहण के 16 महीने बाद चंद्रशेखर सरकार भंग हो गई थी. 

2004 के बाद अप्रैल मई में होता रहा है आम चुनाव

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2004 के बाद से हुए पिछले 4 चुनाव पारंपरिक रूप से अप्रैल और मई में होता रहा है और संसद के नए सदस्य मई के अंत तक चुने जाते रहे हैं. उदाहरण के लिए, 2019 में वोटिंग की आखिरी तारीख 19 मई थी और रिजल्ट 23 मई को घोषित किए गए थे. हालांकि, इस साल भी फेज यानी चरणों की संख्या 2019 के ही समान है, इसके बावजूद, मतदान की आखिरी तारीख 1 जून है और रिजल्ट 4 जून को घोषित किया जाएगा.

2019 की तुलना में चुनावों की घोषणा में छह दिन की देरी हुई है. सूत्रों ने कहा कि जून तक आम चुनाव के जाने के पीछे दो कारण हैं. पहला कारण ये कि मार्च और अप्रैल में होली, तमिल नव वर्ष, बिहू और बैसाखी जैसे त्योहार हैं. ऐसे में इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को ये तय करना था कि छुट्टी वाले दिन चुनाव से संबंधित कोई काम न रखा जाए. 

चुनाव की घोषणा में देरी के पीछे दूसरा कारण ये कि आम चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले ही चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अचानक पद छोड़ दिया, जिससे इलेक्शन पैनल में एक मात्र सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रह गए थे. गोयल के इस्तीफे से पहले दूसरे चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे 14 फरवरी को ही रिटायर हो चुके थे.

एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, इसे प्राथमिकता में रखा गया कि चुनाव के लिए जब तारीखों की घोषणा हो, तो इलेक्शन पैनल की टीम पूरी हो. हालांकि, कानून के मुताबिक केवल मुख्य चुनाव आयुक्त इलेक्शन की घोषणा कर सकते थे, लेकिन इससे संदेश अच्छा नहीं जाता, इसलिए चुनाव की घोषणा में 6 दिन की देरी हुई.

कई ऐसे कारण, जो चुनाव कार्यक्रम निर्धारण को प्रभावित करते हैं

एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे कई कारण हैं जो चुनाव कार्यक्रम तैयार करने में योगदान करते हैं. उदाहरण के लिए, सुरक्षा बलों को दो चुनाव चरणों के बीच एक जगह से दूसरी जगह जाने और पुनर्तैनाती के लिए कम से कम 6 दिनों का समय लगता है. अगर बीच में कोई त्योहार है, तो ये सुनिश्चित किया जाता है कि चुनाव से संबंधित कोई कार्यक्रम त्योहार वाले दिन से मेल न खाए. उदाहरण के लिए ऐसा न हो कि होली वाले दिन ही नामांकन का आखिर तारीख हो. ऐसे में चुनाव प्रक्रिया बाधित होने की आशंका होती है.

जून में प्रचंड गर्मी, क्यों ये मतदान को प्रभावित करेगा?

अक्सर जून में प्रचंड गर्मी होती है, ऐसे में क्या ये वोटिंग को प्रभावित करेगा? इस सवाल के जवाब में अधिकारी ने कहा कि 7वें चरण तक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड और उत्तर प्रदेश में केवल 57 सीटें बचेंगी. अधिकारी ने कहा कि सभी दक्षिणी राज्य और राजस्थान जैसे राज्य जहां अधिकतम तापमान बहुत अधिक होता है, तब तक उनका मतदान समाप्त हो चुका होगा.