Lok Sabha Elections 2024: अब वोट देने से पहले धोना होगा हाथ, जानें क्या है चुनाव आयोग का ये नया नियम
Lok Sabha Elections 2024: कुछ ही महीनों में देश में लोकसभा चुनाव होना है. चुनाव को अच्छे तरीके से संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग तैयारियों में जुट गया है.
Lok Sabha Elections 2024: इलेक्शन कमीशन लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा है. वोट डालने के दौरान उंगलियों पर लगाई जाने वाली अमिट स्याही को अब मिटाना आसान नहीं होगा. आपके अंगुली में ये स्याही लगने के 5 सेकेंड बाद ही अपना असर दिखा देगी. चुनावी ड्यूटी में स्याही लगाने वाले लगे कर्मचारी आपकी अंगुलियों में स्याही लगाने से पहले आपके हाथों को चेक करेंगे. अगर आपके हांथों में तेल लगा होगा तो उसे पोछकर ही स्याही लगाई जाएगी.
चुनाव आयोग चुनावी ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को जो किट देता है उसमें भी बदलाव करेगा. इसके लिए चुनाव आयोग ने निर्देश भी दे दिया है. कर्मचारियों को चुनावी सामग्री की किट के साथ हाथ साफ करने के लिए एक कपड़ा भी दिया जाएगा.
5 सेकेंड में छोड़ेगी अमिट छाप
वोटिंग के दौरान बहुत से वोटर ऐसे होते हैं जो एक बार वोट डालने के बाद स्याही को मिटाकर दोबारा से किसी दूसरे के नाम पर वोट डालने आ जाते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने उचित कदम उठाए हैं. वोट डालने के दौरान लगाई जाने वाली स्याही को और मजबूत बनाने के लिए चुनाव आयोग ने मैसूर की कंपनी के साथ समझौता किया है. ये कंपनी ऐसी स्याही चुनाव आयोग को बनाकर देगी जो 5 सेकेंड में ही अपनी अमिट छाप छोड़ देगी. अभी तक चुनाव के दौरान जिस स्याही को लगाया जाता है वह थोड़ी देर बाद अपना असर दिखाना शुरू करती है.
1962 में पहली बार हुआ था इस्तेमाल
देश में पहली बार अमिट स्याही का इस्तेमाल 1962 में हुआ था. इसके बाद से चुनाव में अमिट स्याही का इस्तेमाल किया जाने लगा. लोकसभा चुनाव से लेकर ग्राम प्रधान के चुनाव में भी अमिट स्याही का इस्तेमाल किया जाता है. अमिट स्याही बनाने के फार्मूला सीएसआइआर की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ने बनाया था. इसके बाद इस स्याही को बनाने के लिए मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड को लाइसेंस दिया गया.
30 देशों में इस्तेमाल होती है भारत की स्याही
भारत में चुनाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इस अमिट स्याही को मलेशिया,कनाडा, कंबोडिया, घाना, अफगानिस्तान,आइवरी कोस्ट, तुर्किए, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, नेपाल,¨सगापुर,दुबई,मंगोलिया, साउथ अफ्रीका, डेनमार्क समेत 30 देश भी इस्तेमाल करते हैं.
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