Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच फंसी सीट शेयरिंग के बीच अखिलेश यादव ने बड़ी 'चाल' चली है. कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव ने अपने परिवार के सदस्यों की सीट फिक्स कर दी है और वहां चुनावी तैयारियां भी शुरू कर दी है.जानकारी के मुताबिक, अखिलेश यादव ने अपने लिए कन्नौज लोकसभा सीट का चुनाव किया है, जबकि उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. वहीं, अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव के लिए आजमगढ़ को चुना है.
समाजवादी पार्टी (सपा) ने शनिवार को घोषणा की कि वो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 11 लोकसभा सीटें देगी. हालांकि कांग्रेस का दावा है कि सीटों के बंटवारे पर बातचीत अभी भी चल रही है, लेकिन अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ने परिवार के सदस्यों के लिए सीटों का चुनाव फाइनल कर लिया है. सपा के सूत्रों ने कहा कि परिवार के जिन सदस्यों के लिए लोकसभा सीटों का चुनाव किया गया है, वहां चुनावी अभियान शुरू भी कर दिया गया है.
समाजवादी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव के कन्नौज से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना है. कनौज को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. इस सीट पर अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था, जहां डिंपल को 12 हजार 353 वोटों से हार मिली थी. बता दें कि इस सीट पर डिंपल यादव को पहली बार उपचुनाव में निर्विरोध जीत हासिल हुई थी. दरअसल, 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत के बाद अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद हुए उपचुनाव में डिंपल यादव निर्विरोध चुनी गई थी. इसके बाद 2014 के आम चुनाव में डिंपल यादव ने इसी सीट से 19 हजार 900 वोटों से जीत हासिल की.
समाजवादी पार्टी ने 1998 से 2014 के बीच लगातार पांच चुनावों में कन्नौज सीट जीती है. 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. उन्होंने पहली बार 2000 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी. फिलहाल, अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की करहल विधानसभा सीट से विधायक हैं. बता दें कि करहल विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के एक और गढ़ कहे जाने वाली मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है.
कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव लगातार पिछले एक साल से कन्नौज का दौरा कर रहे हैं. अपने दौरे के दौरान अखिलेश यादव लोकसभा क्षेत्र में विकास न होने के लिए भाजपा सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं. शुक्रवार को उन्होंने कन्नौज जिले के फकीरे पुरवा गांव से पार्टी के 'पीडीए (पिछड़े या पिछड़े वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक या अल्पसंख्यक) जन पंचायत पखवाड़ा' की शुरुआत की.
समाजवादी पार्टी के कन्नौज जिला अध्यक्ष कलीम खान ने कहा कि कन्नौज में लगभग 4 लाख मुस्लिम और 3 लाख यादव मतदाताओं की मौजूदगी के साथ सामाजिक समीकरण सपा के लिए अनुकूल हैं. अन्य जातियों और समुदायों को भी अखिलेश यादव का समर्थन है. वे यहीं से चुनाव लड़ेंगे.
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में मैनपुरी से सांसद चुनी गईं डिंपल यादव अपने ससुर की विरासत को बरकरार रखने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगी. पिछले कुछ महीनों में वे लगातार मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करती रही हैं. हाल ही में, उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनों के बीच (मेरे अपने लोगों के बीच) टैगलाइन के साथ सोशल मीडिया पर अपनी मैनपुरी यात्रा की तस्वीरें पोस्ट कीं थीं.
अखिलेश यादव के चाचा और समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल सिंह यादव के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की संभावना है, जहां से 2019 में अखिलेश चुने गए थे. हालांकि 2022 के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. एक सपा नेता ने कहा कि पार्टी नेताओं ने राय दी है कि सीट वापस जीतने के लिए या तो अखिलेश यादव या फिर शिवपाल यादव को आज़मगढ़ से चुनाव लड़ना चाहिए.
2022 में आजमगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को भाजपा के दिनेश लाल यादव से हार का सामना करना पड़ा था. बता दें कि इसी सीट पर 2019 में अखिलेश यादव ने निरहुआ को हराया था. पूर्वी यूपी में यादव मतदाताओं का समर्थन वापस पाने के लिए पार्टी को लगता है कि यह जरूरी है कि यादव परिवार का कोई सदस्य आजमगढ़ से चुनाव लड़े. सपा के एक सीनियर नेता ने कहा कि चूंकि अखिलेश कन्नौज से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं, इसलिए शिवपाल आजमगढ़ से सही विकल्प हैं.
2022 में आज़मगढ़ उपचुनाव हारने वाले धर्मेंद्र बदायूं से चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने 2009 और 2014 में सीट जीती थी, लेकिन 2019 में भाजपा की संघमित्रा मौर्य से 18,454 वोटों के मामूली अंतर से हार गए थे. इस सप्ताह की शुरुआत में धर्मेंद्र ने सीट के बिसौली विधानसभा क्षेत्र में पीडीए जन पंचायत को संबोधित किया था. साथ ही गुन्नौर और सहसवान विधानसभा क्षेत्रों में सार्वजनिक बैठकें की थीं. बता दें कि बदायूं लोकसभा सीट भी समाजवादी पार्टी का गढ़ है. पार्टी यह सीट 2019 में हार गई थी. अब एक बार फिर धर्मेंद्र यादव यहां से चुनाव लड़ेंगे.
कहा जा रहा है कि अखिलेश के चचेरे भाइयों में से एक अक्षय यादव फिरोजाबाद से फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, जहां उन्होंने 2014 में जीत हासिल की थी, लेकिन 2019 में हार गए थे. अक्षय पार्टी महासचिव और राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव के बेटे हैं.
फिरोजाबाद में समाजवादी पार्टी के एक नेता ने कहा कि अक्षय यादव फिरोजाबाद में डेरा डाले हुए हैं और रोजाना 15 से अधिक स्थानों पर छोटी बैठकें कर रहे हैं. वे निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव में यहां से पार्टी के उम्मीदवार होंगे. वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि इन सीटों पर सहमति बन गई है. लेकिन पार्टी नेताओं के उम्मीदवारों की घोषणा सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय होने और गठबंधन सहयोगियों के साथ सीटों के बंटवारे के बाद ही की जाएगी.