Modi ka Parivar: राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद वर्षों से चला आ रहा है. समय-समय पर राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद का विरोध देखने के लिए मिलता रहता है. पीएम मोदी अपनी राजनीतिक सभाओं में अधिकतर राजनीति घरानों पर हमला बोलते रहते हैं.बीजेपी ने 'मोदी का परिवार' नाम से 2024 के चुनाव के लिए मुहिम शुरू की है. हालांकि बीजेपी खुद परिवारवाद और वंशवाद से अछूती नहीं हैं. अलग-अलग राज्यों में हम राजनीतिक घरानों के बारे नें आपको बता रहे हैं.
आज की सीरीज में हम आपको महाराष्ट्र के उन राजनीतिक घरानों के बारें में बता रहे हैं, जिनमें वंशवाद और परिवारवाद है. साथ ही ये परिवार महाराष्ट्र की राजनीति में खास दखल रखते हैं. महाराष्ट्र की सियासत में ऐसे 11 राजनीतिक परिवार हैं, जो राज्य की राजनीति को संचालित करते हैं. आज हम आपको 5 परिवारों के बारे में बता रहे हैं.
महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार को चाणक्य कहा जाता है. शरद पवार की मां शारदा बाई 1936 में पूना लोकल बोर्ड की सदस्य थीं. शरद पवार 38 साल की उम्र में ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए और चार बार सीएम रहे. कांग्रेस से राजनीति शुरू करने वाले पवार ने 1999 में एनसीपी का गठन किया. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और भतीजे अजीत पवार राजनीति में हैं. हालांकि एनसीपी में अब दो गुटों में बंट गई है. शरद पवार का गुट और अजीत पवार का गुट. सुप्रिया 2006 में राज्यसभा सदस्य बनीं और पिछले तीन लोकसभा चुनाव से बारामती सीट से सांसद चुनी जा रही हैं. अजीत पवार भी महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं और फिलहालबारामती विधानसभा सीट से विधायक हैं. शरद पवार के पोते और अजित पवार के बेटे पार्थ पवार ने सियासत में कदम दिया है, लेकिन जीत नहीं सके.
महाराष्ट्र की सियासत की बात हो और ठाकरे परिवार की चर्चा न हो ऐसा नहीं हो सकता. बालासाहेब ठाकरे ने 1966 को शिवसेना का गठन किया था. बाला साहेब कभी चुनाव नहीं लड़े इसके बावजूद महाराष्ट्र की राजनीति में उनका हमेशा से दबदबा रहा है. बाद में शिवसेना उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम बने. उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे विधायक हैं. हालांकि अब महाराष्ट्र में शिवसेना दो गुटोंम में बंट गई हैं. अब शिवसेना शिंदे गुट से एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं. एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण से सांसद हैं. भाई
सांसद हैं. एकनाथ के भाई प्रकाश संभाजी शिंदे ठाणे के कॉर्पोरेटर (पार्षद) हैं.
बीजेपी की राजनीति में गोपीनाथ मुंडे बड़े नेता थे. आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन इनकी दो बेटियां पंकजा मुडे और प्रीतम मुडे हैं. गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र के गृह मंत्री और केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री थे. बड़ी बेटी पंकजा महाराष्ट्र में कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं और दूसरी बेटी प्रीतम बीड़ से सांसद हैं. जबकि भतीजे धनंजय मुंडे एनसीपी से विधान परिषद सदस्य हैं.
महाराष्ट्र की सियासत में चव्हाण परिवार कांग्रेस का बड़ा चेहरा था. पूर्व मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण 1975 और 1986 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहने के साथ केंद्र में वित्त और गृह मंत्रालय जैसे विभाग भी संभाल चुके हैं. उनके बेटे अशोक चव्हाण 2008 से 2010 के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. अशोक चव्हाण की पत्नी अमिता भी विधायक रह चुकी हैं.
बालासाहेब ठाकरे की उंगली पकड़कर शिवसेना से जुड़े छगन भुजबल महाराष्ट्र के कद्दावर नेता बन गए. भुजबल 1985 में मुंबई के मेयर बने और बाद में उन्होंने एनसीपी का दामन थाम लिया. इसके बाद वे महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री भी बने. छगन भुजबल शिवसेना में थे तो मुंबई में खासा प्रभाव था, लेकिन एनसीपी में आने के बाद नासिक के इलाके में अपना राजनीतिक प्रभुत्व जमाया. भुजबल की राजनीतिक विरासत के तौर उनके बेटे पंकज भुजबल आगे बढ़ा रहे हैं. वे नासिक से सटे जलगांव के नादगांव से विधायक हैं. जबकी भुजबल का भतीजा समीर 2009 में सांसद रह चुका है.