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Guna Lok Sabha Seat: गुना लोकसभा सीट में काम करता है 'महल' फैक्टर, क्या अबकी बार गढ़ बचा पाएंगे सिंधिया?

Guna Lok Sabha Seat: गुना लोकसभा सीट की गिनती मध्यप्रदेश की वीवीआईपी सीटों में होती है. 2019 में कांग्रेस की टिकट से सिंधिया यहां से चुनाव हार गए थे. इस बार देखना है कि वो अपना गढ़ बचाने में कामयाब होते हैं या नहीं.

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Edited By: Pankaj Soni
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Guna Lok Sabha Seat : गुना लोकसभा सीट की गिनती मध्यप्रदेश की वीवीआईपी सीटों में होती है. यह सीट सिंधिया राज घराने की परंपरागत सीट मानी जाती है. ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और  ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर ज्यादातर जीतते आए हैं. फिलहाल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है.

वहीं कांग्रेस ने इस सीट से राव यादवेन्द्र सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने केपी यादव को यहां से दी गई थी. कांग्रेस के टिकट से ज्योतिरादित्य सिंधिया मैदान में थे. इस चुनाव में सिंधिया को हार मिली थी. अब सिंधिया बीजेपी में हैं.

गुना लोकसभा सीट का परिचय

गुना लोकसभा सीट मध्यप्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में से एक है. गुना के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. यहां पर शिवपुरी, बमोरी, चंदेरी, पिछोर, गुना, मुंगावली, कोलारस, अशोक नगर विधानसभा सीटें हैं. यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है.

गुना लोकसभा सीट का इतिहास

गुना लोकसभा सीट में पहला आम चुनाव 1957 में हुआ. इस चुनाव में विजयाराजे सिंधिया ने जीत हासिल की. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को हराया. अगले चुनाव में कांग्रेस के रामसहाय पांडे मैदान में उतरे. उन्होंने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को शिकस्त दी. इस सीट में 1967 में उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को हार मिली. स्वतंत्रता पार्टी की ओर से विजयाराजे सिंधिया चुनाव लड़ रही थीं. उन्होंने कांग्रेस के डीके जाधव को यहां पर शिकस्त दी.

1971 में माधवराव सिंधिया मैदान में उतरे

साल 1971 में विजयाराजे के बेटे माधवराव सिंधिया मैदान में उतरे. वह यहां से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की. 1977 के चुनाव में वह यहां से निर्दलीलय ड़े और 80 हजार वोटों से बीएलडी के गुरुबख्स सिंह को हराया. 1980 में कांग्रेस के टिकट पर लड़कर जीते. वह लगातार 3 चुनावों में विजयी रहे. 1984 के चुनाव में माधवराव ग्वालियर से लड़े और वहां पर भी उन्होंने जीत हासिल की. तब कांग्रेस ने यहां से महेंद्र सिंह को टिकट दिया था और उन्होंने बीजेपी के उद्धव सिंह को हराया.

1989 के चुनाव में यहां से विजयाराजे सिंधिया एक बार फिर यहां से लड़ीं और तब के कांग्रेस के सांसद महेंद्र सिंह को शिकस्त दी. इसके बाद से विजयाराजे सिंधिया ने यहां पर हुए लगातार 4 चुनावों में जीत का परचम फहराया. 1999 में माधवराव एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिए. उन्होंने इस सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई.

कांग्रेस को 9 बार मिली जीत 

1999 के चुनाव में उन्होंने यहां से जीत हासिल की. 2001 में उनके निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से लड़े और जीते. 2014 में मोदी लहर में जब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था तब भी ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे. कांग्रेस को यहां पर 9 बार जीत मिली है. वहीं बीजेपी को 4 बार और 1 बार जनसंघ को जीत मिली है. ऐसे में देखा जाए को इस सीट पर एक ही परिवार के तीन पीढ़ियों का राज रहा है. 

गुना का जातिगत समीकरण

गुना लोकसभा सीट में 16.62 लाख वोटर्स हैं. इनमें 8.82 लाख पुरुष और 7.80 लाख महिला वोटर्स हैं. जातिगत समीकरण के मुताबिक अनुसूचित जनजाति की तादाद सबसे ज्यादा 2 लाख 30 हजार से ज्यादा है. अनुसूचित जाति 1 लाख से ज्यादा, कुशवाह 60 हजार, रघुवंशी 32 हजार, यादव 73 हजार, ब्राह्मण 80 हजार, मुस्लिम 20 हजार, वैश्य जैन 20-20 हजार हैं.  सबसे ज्यादा असर अनुसूचित जाति का है. हालांकि यह भी कहा जाता है कि यह सीट महल फैक्टर पर निर्भर करती है क्योंकि इस सीट पर सिंधिया राजघराने का लंबे समय तक कब्जा रहा है.

कौन हैं राव यादवेन्द्र सिंह ?

राव यादवेंद्र सिंह कभी बीजेपी में हुआ करते थे, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए. राव यादवेंद्र सिंह अशोक नगर जिले के निवासी हैं. अशोकनगर जिला गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट में आता है. वर्तमान में राव यादवेंद्र सिंह जिला पंचायत सदस्य हैं. यादवेन्द्र सिंह के पिता देशराज सिंह यादव बीजेपी के विधायक रह चुके हैं.