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Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस के 5 कद्दावर नेता जो बीजेपी को दे सकते थे कड़ी टक्कर लेकिन चुनाव में छोड़ दिया मैदान

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव में अबकी बार कांग्रेस के पांच बड़े और कद्दावर नेता चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. अगर वो चुनावी मैदान पर उतरते तो पार्टी के कार्यकर्ताओं का हौंसला बढ़ता और बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलती.

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Edited By: Pankaj Soni
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Lok Sabha Elections 2024 : कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार पार्टी को मजबूत बनाने और कार्यकर्ताओं के अंदर जोश भरने के लिए यात्राएं कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है. लेकिन कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. ये नेता अपने बेटों को या फिर किसी अपने खास आदमी को चुनाव लड़वा रहे हैं. इस बार कांग्रेस के जो चेहरे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं उनके पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय नेता शामिल हैं.

इन कद्दावर नेताओं में पार्टी के वे चेहरे शामिल हैं जो केंद्रीय राजनीति में बड़ा चेहरा माने जाते हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में खासा दबदबा भी रखते हैं. अगर ये चेहरे चुनावी मैदान पर उतरेंगे तो चुनावी मुबकाबला रोचक हो जाता और इनके जीतने की संभावना भी ज्यादा है. कांग्रेस के ये दिग्गज चेहरे कौन हैं आज हमा आपको इनके बारे नें बता रहे हैं.  

मल्लिकार्जुन खरगे

कांग्रेस के सबसे सीनियर लीडर और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. हालांकि अभी वो राज्यसभा सांसद हैं. हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र में उनकी अच्छी राजनीतिक पकड़ है. यह क्षेत्र खरगे का गढ़ कहा जाता है. खरगे 2014 में मोदी लहर में भी गुलबर्गा सीट जीतने में सफल रहे थे. इससे पहले वह 2009 में पहली बार इस सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे और केंद्रीय राजनीति में कदम रखा था. इससे पहले खरगे विधानसभा चुनाव लड़ते रहे और 1972 से 2008 तक लगातार गुरमित्कल सीट से विधायक चुने जाते रहे. खरगे अपने राजनीतिक जीवन में सिर्फ एक ही चुनाव हारे हैं. 2019 में उन्हें भाजपा उम्मीदवार उमेश जाधव ने तकरीबन एक लाख मतों से हराया था. खरगे कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं और वह चुनाव में जीतने का दम रखते हैं, लेकिन वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.  उनकी सीट पर उनके बेटे लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. 

अशोक गहलोत

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. राजस्थान में गहलोत कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं उनका यहां अच्छा प्रभाव है. राजस्थान से सटे गुजरात के इलाकों में भी गहलोत का अच्छा खास प्रभाव है. गहलोत छात्र जीवन से ही राजनीति में रहे हैं. उनकी चुनावी राजनीति की शुरुआत लोकसभा चुनाव से ही हुई थी. 1980 से लगातार 1989 जोधपुर सीट से सांसद रहे. इसके बाद 1991 से लेकर 1999 तक उन्होंने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. अगर गहलोत जोधपुर से चुनावी मैदान में उतरते तो मुकाबला कड़ा हो जाता. गहलोत को मात देने के लिए भाजपा को यहां अतिरिक्त प्रयास भी करने पड़ सकते हैं, लेकिन वह उम्र का हवाला देकर चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं. इस सीट पर उनके बेटे वैभव गहलोत इस बार चुनाव मैदान में हैं. 

कमलनाथ

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया. छिंदवाड़ा उनकी परंपरागत सीट है और इसको कांग्रेस के लिए किला कहा जाता है. इस सीट पर कमलनाथ की खासी पकड़ है. इस सीट पर कमलनाथ 1984 से लोकसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2014 में वह आखिरी बार इस सीट से चुनाव लड़े थे. इस बीच इस सीट पर भाजपा सिर्फ एक बार 1997 में ही चुनाव जीत सकी थी. 2019 में कमलनाथ ने यह सीट अपने पुत्र नकुलनाथ के हवाले कर दी और वह चुनाव जीत भी गए थे. इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने से उन्होंने मना कर दिया है.

दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश की राजनीति में दिग्विजय सिंह बड़ा नाम है. वह राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 1969 में 22 साल की उम्र में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले दिग्विजय सिंह बेशक 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन एमपी की राजनीति में उनकी आज भी खासी पकड़ है. खास तौर से राजगढ़ लोकसभा सीट और राधौगढ़ विधानसभा सीट को उनकी परंपरागत सीट के रूप में जाना जाता है. दिग्विजय सिंह 1984 से लेकर 1994 तक राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. उसके बाद वह विधानसभा चुनाव में उतरे और राधौगढ़ विधानसभा सीट से विधायक रहे. 2014 में राज्यसभा चुनाव लड़ने से पहले दिग्विजय सिंह ने राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया था. 2019 में वह भोपाल सीट से चुनाव में उतरे लेकिन भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अगर इस बार वह किसी भी सीट से चुनाव लड़ते तो बीजेपी को कड़ी टक्कर देने का काम कर सकते थे.

सचिन पायलट

राजस्थान में अशोक गहलोत के बाद सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता सचिन पायलट ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. पायलट पहली बार 2004 में दौसा लोकसभा सीट से सांसद बने थे. 2009 में भी इसी सीट से सांसद बने थे. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में वह भाजपा उम्मीदवार से हार गए थे. इसके बाद से वह टोंक सीट से विधायक हैं. 2024 में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. अगर राजस्थान से सचिन पायलट चुनाव लड़ते तो उनके समर्थकों का जोश भी दोगुना हो जाता और भाजपा उम्मीदवार को जीत के लिए मशक्कत करनी पड़ती.