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India Daily

7 सीटों का वादा फिर भी नहीं कांग्रेस-सपा के साथ लड़ने का इरादा, समझें RLD की चुनावी केमिस्ट्री

Lok Sabha Election 2024: आरएलडी चीफ जयंत चौधरी को सपा की ओर से 7 लोकसभा सीट देने की पेशकश की गई है. इसके बाद भी खबर है कि जयंत चौधरी बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ सकते हैं जबकि बीजेपी की ओर से सिर्फ 4 सीट देने की पेशकश की गई है. आइए जानते हैं सपा के साथ रहने पर ज्यादा सीटें मिलने के बाद भी जयंत चौधरी को बीजेपी के साथ जाने में फायदा क्यों नजर आ रहा है.  

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Edited By: Purushottam Kumar
Jayant Chaudhary

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को चुनौती देने के लिए एक साथ कई विपक्षी दलों ने मिलकर इंडिया गठबंधन बनाई है तो वहीं बीजेपी ने इंडिया गठबंधन में ही सेंध लगानी शुरू कर दी है. इसी बीच, मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से खबर है कि आरएलडी चीफ जयंत चौधरी भी इंडिया गठबंधन से अपनी राहें अलग कर एनडीए में शामिल हो सकते हैं.

BJP की ओर से 4 सीट देने की पेशकश

खबरों की मानें तो जयंत चौधरी को बीजेपी की ओर से चार सीटें देने की पेशकश की गई है. हालांकि, जयंत चौधरी पांच सीटों की डिमांड की है. जानकारी के अनुसार सपा की ओर से आरएलडी को सात सीटें देने की घोषणा की जा चुकी है. अब सवाल है कि जब जयंत चौधरी को सपा में ज्यादा सीटें दी जा रही थी फिर भी जयंत चौधरी को बीजेपी के साथ जाने में फायदा क्यों नजर आ रहा है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सपा की ओर से जयंत चौधरी को 7 सीटें देने की बात जरूर कही गई थी लेकिन सपा इनमें से दो सीट बिजनौर और कैराना पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है. वहीं, बीजेपी की ओर से जयंत चौधरी को बागपत, अमरोहा, कैराना और मथुरा सीटें देने की पेशकश की गई है. आइए जानते हैं सपा की सात सीट के बजाए बीजेपी की ओर से 4 सीट मिलने के बाद भी कैसे फायदे में रहेंगे जयंत चौधरी.

2014 और 2019 में RLD की प्रदर्शन निराशाजनक

साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की अगर हम बात करें तो 2014 में  RLD कांग्रेस के साथ गठबंधन में 8 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में RLD ने सपा-बसपा गठबंधन के साथ मिलकर तीन सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और इस लोकसभा चुनाव में भी आरएलडी का खाता नहीं खुला था.

BJP के साथ जयंत को कैसे होगा फायदा

लगातार दो लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुलने के साथ साथ आरएलडी के वोट शेयर में भी गिरावट देखने को मिल रही है. जयंत चौधरी के सामने इस बात का भी खतरा है कि कहीं उनकी पार्टी का स्टेटस न छिन लिया जाए. जयंत चौधरी इस बात को बखूबी जानते हैं कि अगर वह बीजेपी के साथ आगामी चुनाव लड़ते हैं तो उनके उम्मीदवारों के जीतने की संभावना ज्यादा होगी और उससे उनका वोट परसेंट भी बढ़ेगा. वहीं, दूसरी तरफ यह रालोद के वोटर का बीजेपी की ओर झुकाव भी देखने को मिल रहा है.