Lok Sabha Election Results: 4 जून को घोषित हुए लोकसभा चुनावों में शुरुआती रुझानों से लेकर आखिरी नतीजे तक इंडिया गठबंधन ने एनडीए को कड़ी टक्कर दी और बीजेपी को पिछले दो आम चुनावों की तरह एकतरफा जीत हासिल करने से रोक दिया. जहां एनडीए गठबंधन ने बहुमत के 272 सीटों के आंकड़े को पार करते हुए 293 सीटें हासिल की, तो वहीं इंडिया गठबंधन के खाते में 203 सीटें ही आई, हालांकि इसमें ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की 29 सीटों को जोड़ दें तो ये आंकड़ा 232 तक पहुंच जाता है.
ऐसे में इंडिया गठबंधन अगर सरकार बनाने का प्रयास करना चाहेगी तो उसे एनडीए गठबंधन में शामिल जेडीयू (12 सीट) और टीडीपी (16 सीट) के अलावा भी 12 सीटों की दरकार होगी. भारतीय जनता पार्टी 240 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी और 2014 के बाद पहली बार बहुमत के आंकड़े को पार करने में नाकाम रही. बीजेपी ने 2014 में 282 सीटों पर जीत हासिल की थी तो वहीं 2019 में उसे 2019 सीटों पर विजय मिली. इसे ही देखते हुए बीजेपी ने 2024 में अबकी बार 400 पार का नारा दिया था.
हालांकि नतीजों ने बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया और अब उसे सरकार बनाने के लिए अपने साथियों को गठबंधन में बरकरार रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. 2024 के चुनावी नतीजों ने कई चौंकाने वाले परिणाम दिए और इसके साथ ही कुछ ऐसे संदेश भी दिए जिसने भविष्य की राजनीति की राह तय कर दी है. आइये एक नजर इन छुपे संदेशों पर डालते हैं-
कांग्रेस को देश में लगभग खत्म हुई पार्टी मान लिया गया था जिसने पिछले चुनावों में महज 52 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि 2024 में उसने 47 सीटों का फायदा लिया और 99 सीट जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई. 2019 में, भाजपा ने कुल वोटों का लगभग 37.36% हासिल किया था, इस बार उसके खाते में 36.57% ही वोट आए हैं जो कि उसके वोट शेयर में हुई कटौती को दर्शाते हैं.
वहीं कांग्रेस ने 2019 के चुनावों में महज 19.49 प्रतिशत वोट हासिल किए थे और इस बार उसे 21.20 प्रतिशत वोट मिले हैं. यह दर्शाता है कि अपना आधार खो चुकी कांग्रेस एक बार फिर से चुनौती देने को तैयार खड़ी है.
चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 5 राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़ी बढ़त हासिल की है. बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडी(यू) ने 12 सीटों पर जीत हासिल की तो वहीं बीजेपी भी 12 ही हासिल कर सकी. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 5 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि राष्ट्रीय जनता दल 4 सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब हुई. इन दलों के अलावा टीडीपी (16), टीएमसी (29), एनसीपी (शरद पवार)- 7, शिवसेना (शिंदे)-7, शिवसेना ठाकरे- 7, डीएमके- 22 और सपा -37 ने भी अच्छी खासी सीटें हासिल की. यह दर्शाता है कि 90 के दशक की तरह एक बार फिर से राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की वापसी हुई है जो कि पिछले 2 चुनावों में सिमटती नजर आ रही थी.
भाजपा के लिए सबसे चौंकाने वाला झटका यह है कि पार्टी उत्तर प्रदेश में 80 में से सिर्फ 33 सीटों पर जीत मिली तो वहीं सहयोगी पार्टियों के दम पर एनडीए की जीत की सीटों की संख्या 36 ही पहुंच रही है.वहीं इंडिया गठबंधन के लिए समाजवादी पार्टी ने सबसे बड़ी बढ़त हासिल करते हुए 37 सीटों पर जीत हासिल की तो वहीं कांग्रेस ने भी 6 पर कब्जा जमाया. सपा ने पिछले चुनावों में सिर्फ 5 सीटों पर जीत हासिल की थी तो वहीं कांग्रेस के खाते में सिर्फ 1 ही सीट आई थी. यूपी में बीजेपी को यह झटका तब लगा है जब प्रदेश की योगी और देश की मोदी सरकार दोनों ही राज्य में अपने कामों को लेकर काफी चर्चा में रहती हैं.
2019 में, भाजपा ने हिंदी पट्टी के 10 राज्यों में 225 सीटों में से 176 सीटें {(उत्तर प्रदेश (80 में से 62 सीटें जीतीं), उत्तराखंड (5/5), बिहार (17/40), झारखंड (11/14), छत्तीसगढ़ (9/11), मध्य प्रदेश (28/29), दिल्ली (7/7), हरियाणा (10/10), हिमाचल प्रदेश (3/4) और राजस्थान (24/25)} जीती थीं. हालांकि इस बार बीजेपी को इन राज्यों में बड़ा नुकसान हुआ है और वो 128 सीटें ही जीत सकी है. बीजेपी को हिंदी पट्टी में 48 सीटों का नुकसान हुआ है जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था.