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Lok Sabha Election 2024: राजस्थान में कांग्रेस के अपने हुए पराए, तो गहलोत ने अच्छे दिन याद दिलाए, जानिए बदला समीकरण

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस को बड़े झटके लग रहे हैं. रविवार को राजस्थान में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने भाजपा का हाथ लिया है. सीएम भजन लाल शर्मा और राज्य भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई है.

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Edited By: India Daily Live
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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक के बाद एक बड़े झटके लगते दिखाई दे रहे हैं. राजस्थान के कई बड़े दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का हाथ थाम लिया है. रविवार यानी 10 मार्च को राजस्थान में दो दर्जन से ज्यादा नेता खासतौर पर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गए. इससे लोकसभा चुनाव से पहले सबसे पुरानी पार्टी को झटका लगा है. इन नेताओं ने जयपुर में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और राज्य भाजपा प्रमुख सीपी जोशी समेत अन्य की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा में शामिल होने वालों में कई पूर्व मंत्री और विधायक भी हैं. पिछले साल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद से कई हाई-प्रोफाइल नेता भाजपा में चले गए हैं. पहले से ही राजस्थान के लिए भाजपा की 15 उम्मीदवारों की पहली सूची में दो पूर्व कांग्रेस नेता शामिल हैं, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे.

इनमें एक आदिवासी नेता और राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय और दूसरे पूर्व लोकसभा सांसद ज्योति मिर्धा हैं. देखना वाली बात ये होगी कि लोकसभा के लिए भाजपा उम्मीदवारों की लिस्ट में किसी नए सदस्य को शामिल किया जाएगा या नहीं. राजस्थान की कुल 25 सीटों के लिए 10 नामों की घोषणा अभी बाकी है.

अशोक गहलोत ने किया लंबो चौड़ा ट्वीट

कद्दावर नेताओं के पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल होने पर कांग्रेस का दर्द छलक पड़ा है. राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने एक लंबा चौड़ा ट्वीट किया है. ट्वीट में उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के मुश्किल वक्त में नेता पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं. ऐसे में उन्होंने पुराने अच्छे दिनों की याद भी दिलाई है. 

लालचंद कटारिया

पूर्व केंद्रीय मंत्री लालचंद कटारिया पिछली अशोक गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री के रूप में भी थे. लंबे समय तक कांग्रेस कार्यकर्ता रहे कटारिया ने जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में भारतीय युवा कांग्रेस नेता के रूप में शुरुआत की थी. वह पहली बार साल 2003 में आमेर से विधायक चुने गए थे. साल 2008 का विधानसभा चुनाव झोटवाड़ा से हार गए, लेकिन 2009 में लोकसभा चुनाव जीते. उस समय उन्होंने जयपुर ग्रामीण से भाजपा के राव राजेंद्र सिंह को हराया था. 2012 के अंत में उन्हें मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री (MoS) बनाया गया.

उन्होंने अपना अगला चुनाव 2018 में जीता, जब उन्होंने झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत को हराया था. इसके बाद उन्हें कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए राज्य का कैबिनेट मंत्री बनाया गया. मई 2019 में कटारिया ने पार्टी की लोकसभा हार के बाद कथित तौर पर अपना इस्तीफा सौंप दिया था. जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट के उनके विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस 1.16 लाख वोटों के भारी अंतर से हार गई थी, जो कि गहलोत मंत्रिमंडल में मंत्रियों के बीच सबसे अधिक अंतर था. 

राजेंद्र सिंह यादव

पिछले साल के विधानसभा चुनावों में मौजूदा विधायक और मंत्री के रूप में राजेंद्र सिंह यादव भाजपा उम्मीदवार से केवल 321 वोटों के अंतर से हारे थे. एक ओबीसी नेता राजेंद्र उन मुट्ठी भर कांग्रेस उम्मीदवारों में से थे, जिन्होंने कोटपूतली विधायक के रूप में अपने पहले कार्यकाल के लिए 2013 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की लहर के बीच जीत हासिल की थी. उन्होंने साल 2018 में भी सीट बरकरार रखी और उन्हें आपदा प्रबंधन और सामाजिक न्याय के लिए राज्य मंत्री बनाया गया. नवंबर 2021 में फेरबदल के बाद उन्हें गृह राज्य मंत्री बनाया गया.

हालांकि 2022 और 2023 के दौरान उन पर कोविड-19 महामारी के दौरान एक कथित मध्याह्न भोजन घोटाले के सिलसिले में आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से छापा मारा गया था. आरोप था कि मध्याह्न भोजन राशन की आपूर्ति में अनियमितता बरती गई थीं. कथित तौर पर राजेंद्र के बेटों की फर्मों ने कार्यक्रम के लिए कच्चे माल की सप्लाई की थी. उस समय यादव ने कहा था कि इस घोटाले का संबंध उनके बच्चों की कंपनियों से नहीं है. उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है.

खिलाड़ी लाल बैरवा

पूर्व लोकसभा सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा को 2023 के विधानसभा चुनावों में बसेरी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट नहीं दिया गया था, जहां से वह मौजूदा विधायक थे. इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन एक सीट पर उन्हें महज 1,366 वोट मिले और कांग्रेस जीत गई.

सचिन पायलट खेमे के सबसे मुखर विधायकों में से एक बैरवा को 2023 के विधानसभा चुनाव में संजय कुमार जाटव से बदल दिया गया. पिछली गहलोत सरकार में बैरवा अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष थे. बैरवा की एकमात्र लोकसभा जीत 2009 में करौली-धौलपुर से हुई. 60 वर्षीय नेता दशकों से कांग्रेस के साथ जुड़े हुए थे और 1990 के दशक से विभिन्न पदों पर रहे थे.

रिछपाल और विजयपाल मिर्धा

नागौर क्षेत्र में जाट समुदाय से आने वाले मिर्धा परिवार के कई सदस्य अब कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए हैं. रविवार को पूर्व विधायक रिछपाल और उनके बेटे विजयपाल आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए. पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा भाजपा में शामिल हो गई थीं. ज्योति के दादा नाथूराम साल 1952 में पहली राजस्थान विधानसभा के सदस्य थे. रिछपाल नाथूराम के भतीजे हैं.

नागौर से चार बार विधायक रहे रिछपाल पहली बार साल 1990 में डेगाना से जनता दल के टिकट पर, फिर साल 1993 में कांग्रेस के टिकट पर, 1998 में निर्दलीय और 2003 में कांग्रेस के टिकट पर चुने गए. हालांकि वह साल 2008 का चुनाव हार गए थे. 

साल 2018 में डेगाना परिवार में वापसी हुई, जब विजयपाल ने सीट जीती. हालांकि 2023 में वह हार गए. चूंकि भाजपा राज्य की सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है, इसलिए मिर्धा के शामिल होने से क्षेत्र में भाजपा की संभावनाएं बढ़ सकती हैं.

आलोक बेनीवाल

पूर्व विधायक आलोक कांग्रेस की दिग्गज नेता कमला बेनीवाल के बेटे हैं, जो त्रिपुरा, गुजरात और मिजोरम की राज्यपाल रही हैं. साल 2018 में उन्हें शाहपुरा से कांग्रेस की ओर से विधानसभा टिकट नहीं दिया गया था, लेकिन उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. बाद में उन्होंने गहलोत सरकार को समर्थन दे दिया. साल 2023 में उन्हें फिर से टिकट नहीं दिया गया. उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस के मनीष यादव से हार गए.