Lok Sabha Election 2024: लोकसभा 2024 का चुनाव तीन सप्ताह के बाद होने हैं. इससे पहले कांग्रेस बुरी तरह फंसती नजर आ रही है. पार्टी फंड में हुई अनियमितता को लेकर आयकर विभाग का एक बार फिर से डंडा चल सकता है. कांग्रेस पार्टी 2014-2021 की अवधि के लिए कुल 523.87 करोड़ रुपये के 'बेहिसाब लेनदेन' के लिए आयकर विभाग से एक और भारी मांग के लिए खुद को तैयार कर रही है.
कांग्रेस पार्टी को एक और झटका लग सकता है. हाल ही में आईटी विभाग को पिछले बकाया के लिए पार्टी बैंक खातों से 135 करोड़ रुपये निकाल लिए है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले किए गए आईटी छापों के दौरान 523.87 करोड़ रुपये के 'बेहिसाब लेनदेन' का पता लगाया गया था. पार्टी को भी इस बात का डर है कि आयकर विभाग फिर से भारी जुर्माना लगा सकता है.
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य वीके तन्खा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पार्टी को आशंका है कि नई मांग की गणना के लिए अब 523.87 करोड़ रुपये में भारी जुर्माना और ब्याज जोड़ा जाएगा. हमारे पहले से 135 करोड़ रुपये चले गए हैं और अब एक और जुर्माना लगाकर हमें लोकसभा चुनाव से पहले अपंग बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
मार्च में कांग्रेस पार्टी आयकर (आईटीएटी) के सामने अपनी अपील हार गई. कांग्रेस ने अपने बैंक खातों से 135 करोड़ रुपये की निकासी पर रोक लगाने की मांग की थी. दरअसल इनकम टैक्स विभाग 2014 से 2021 तक कांग्रेस के असेसमेंट को फिर से खोलना चाहता है, क्योंकि उसे पार्टी के बेहिसाब लेनदेन को दिखाने वाली छानबीन में संदिग्ध सबूत मिले हैं.
22 मार्च के अपने आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय ने छापे के दौरान एकत्र किए गए सबूतों को सूचीबद्ध किया, जिससे पता चलता है कि एमईआईएल समूह (मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) के कर्मचारियों की तलाशी से कांग्रेस पार्टी को भुगतान के सबूत भी मिले. हाल ही में चुनावी बांड पर जारी आंकड़ों में मेघा समूह राजनीतिक दलों को दूसरा सबसे बड़ा दानदाता बनकर उभरा था. इसके ग्रुप कंपनी ने अक्टूबर-नवंबर 2023 के दौरान कांग्रेस को 110 करोड़ रुपये का चंदा दिया था.
राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि कांग्रेस पार्टी गंभीर रूप से नकदी संकट में है. तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के आवास से जुटाए गए सबूतों की सूची में उनका भी नाम है. एमईआईएल समूह के एक कर्मचारी से जब्त की गई डायरी के अनुसार उन्हें (कई अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ) 90 लाख रुपये का कथित भुगतान दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में बेहिसाब लेनदेन के "पर्याप्त और ठोस सबूत" के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.