Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है और राजनेताओं ने एक दूसरे पर जुबानी हमला तेज कर दिया है. बिहार के सीएम लालू यादव ने पीएम मोदी के परिवार को लेकर हमला बोला था, जिसके बाद बीजेपी ने 'मोदी का परिवार' नाम से मुहिम शुरू कर दी.
पीएम मोदी राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ हैं. अपने भाषणों में परिवारवाद पर हमला बोलते रहते हैं. वहीं 'मोदी का परिवार' सीरीज में आज हम आपको मध्य प्रदेश बीजेपी में परिवारवाद के बारे में बताने जा रहे हैं. मध्य प्रदेश की सियासत में वंशवाद काफी हावी है.
मध्य प्रदेश की राजनीति में सबसे पहला नाम पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी और बेटे दीपक जोशी का है. कैलाश जोशी बीजेपी से बागली विधानसभा सीट से चुनाव जीतते रहे. 2003 में इस सीट से उनके बेटे दीपक जोशी ने कमान संभाली. 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. 2018 में दीपक जोशी चुनाव हार गए. 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले ही वह बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में सामिल हो गए. कांग्रेस ने उनको खातेगांव से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह विधानसभा का चुनाव हार गए.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सखलेचा के बेटे ओमप्रकाश सखलेचा शिवराज सरकार में मंत्री थे. 2003 से जावद विधानसभा सीट से वो लगातार चुनाव जीत रहे हैं. इनके पिता वीरेंद्र सखलेचा 1978 से 1980 तक मुख्यमंत्री रहे. वह 1972 से 1977 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे चुके थे. इनके पुत्र ओम प्रकाश सखलेचा मध्य प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के बेटे ध्रुवनारायण सिंह शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं. 2023 में विधानसभा का चुनाव भोपाल की मध्य सीट से लड़े थे. उनका मुकाबला कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद से था. ध्रुव नारायण सिंह पहले भी विधायक रह चुके हैं.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे और उनके दत्तक पुत्र सुरेंद्र पटवा शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें परंपरागत सीट भोजपुर से प्रत्याशी बनाया था. सुंदरलाल पटवा जनता पार्टी से थे और बाद में बीजेपी हो गई.
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को शिवराज सरकार में मंत्री रहे हैं. राहुल लोधी को खरगापुर सीट से बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया था.
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहु गोविंदपुरा सीट से 2023 में दूसरी बार विधायक बनी हैं इसके पहले 2018 में भी वह विधायक बनी थीं. गोविंदपुरा सीट बीजेपी की सबसे सेफ सीट मानी जाती है. बाबूलाल गौर 9 बार यहां से विधायक रहे. 2018 से अब इस सीट पर उनकी बहु कृष्णा गौर ने मोर्चा संभाल रखा है .
इंदौर विधानसभा सीट-1 से विधायक कैलाश विजयवर्गीय फिलहाल मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार में मंत्री हैं. कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के महासचिव रह चुके हैं. इनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय राजनीति में सक्रिय हैं और वह इंदौर से 2018 में विधायक रहे चुके हैं.