Protest against Laws: देश भर के कई राज्यों में पिछले दो दिन से अफरा-तफरी मची हुई है. केंद्र सरकार की ओर से हिंट एंड रन विधेयक के नए कानून को लागू करने के बाद से देश भर के ट्रांसपोर्ट यूनियन इस नियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए सड़क पर उतर आए हैं. इसके चलते पेट्रोलियम कंपनियों से लेकर कई जरूरी सामान एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा पा रहा है.
नतीजन चंडीगढ़ में चारपहिया गाड़ी को 5 लीटर से ज्यादा पेट्रोल नहीं दिए जाने का आदेश जारी किया जा चुका है तो वहीं पर कई राज्यों में पेट्रोलियम संकट बना हुआ है.
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केंद्र सरकार विरोध प्रदर्शन को लेकर बैठक भी कर रही है लेकिन यह पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार के कार्यकाल में किसी कानून के खिलाफ चक्का जाम किया गया हो. साल 2014 से लेकर 2024 तक कई ऐसे मौके आए जब लोगों ने नए कानूनों और विधेयकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. आज हम ऐसे ही कुछ बड़े विरोध प्रदर्शन वाले कानून के बारे में बताने जा रहे हैं.
1. कृषि सुधार कानून, 2020: ये तीन कानून - किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता अधिनियम, 2020, और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) अधिनियम, 2020 - केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से बाहर मंडी के बाहर कृषि उपज के व्यापार की सुविधा के लिए पेश किए गए थे. हालांकि, कई किसान संगठनों ने आशंका जताई कि ये कानून एमएसपी व्यवस्था को कमजोर करेंगे और कॉरपोरेट कंपनियों को किसानों का शोषण करने का रास्ता देंगे. इसके परिणामस्वरूप पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है, हालांकि सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत चल रही है.
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2. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019: यह अधिनियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों के गैर-मुस्लिम सदस्यों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता आसान बनाता है. हालांकि, कई लोगों ने यह दावा करते हुए इसका विरोध किया कि यह मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है और भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र का उल्लंघन करता है. देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए, विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में जहां स्थानीय लोगों को डर था कि CAA से उनकी संस्कृति और पहचान को खतरा होगा.
3. राष्ट्रीय रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC): NRC एक प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी रजिस्टर है जिसमें भारत के सभी नागरिकों को शामिल किया जाएगा. हालांकि, CAA के साथ NRC को लागू करने की आशंका ने अधिक विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, क्योंकि कई लोगों को डर था कि यह मुसलमानों को लक्षित करेगा और उन्हें उनकी नागरिकता साबित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, सरकार ने अभी तक NRC को लागू नहीं किया है.
4. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 2020 (ईपीए) में संशोधन: ईपीए में किए गए संशोधनों से उद्योगों के लिए पर्यावरणीय अनुपालन की प्रक्रिया को आसान बनाने का लक्ष्य रखा गया था. हालांकि, पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं ने आशंका जताई कि इससे पर्यावरण संरक्षण कमजोर होगा और प्रदूषण बढ़ेगा. देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए.
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5. लव जिहाद कानून: कई भारतीय राज्यों ने तथाकथित "लव जिहाद" कानून बनाए हैं, जो अंतरधार्मिक विवाह को रोकने का प्रयास करते हैं. इन कानूनों की आलोचना की गई है क्योंकि वे धर्म की स्वतंत्रता और समानता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं और मोदी सरकार के कार्यकाल में विरोध प्रदर्शनों के कई अन्य कारण भी रहे हैं. यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों के विचार विविध हैं और एक कारण सभी को एकजुट नहीं करता है.
1. पर्यावरण संबंधी चिंताएं (2014-वर्तमान): पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं ने कई पर्यावरणीय मुद्दों पर चिंता व्यक्त की है, जिनमें वनों का कटाव, नदियों का प्रदूषण और वायु प्रदूषण शामिल हैं. उन्होंने सरकार से इन मुद्दों को संबोधित करने का आग्रह किया है.
2. सामाजिक मुद्दे (2014-वर्तमान): महिलाओं के खिलाफ हिंसा, दलितों के साथ भेदभाव और अल्पसंख्यकों के खिलाफ असहिष्णुता जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं. कार्यकर्ताओं ने सरकार से इन मुद्दों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया है.