Sitaram Yechury: वामपंथी दल के दिग्गज नेता सीताराम येचुरी का निधन हो गया है. उन्होंने 72 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली स्थित एम्स में अंतिम सांस ली. वह 19 अगस्त को हॉस्पीटल में एडमिट हुए थे तब से वह लगातार लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ही थे. वह निमोनिया के संक्रमण से पीड़ित थे. एम्स के स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की एक टीम लगाताक उनकी निगरानी कर रही थी. हालांकि उन्हें बचाया नहीं जा सका.
देश में वामपंथी राजनीति के केंद्र रहे सीताराम येचुरी ने अपने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत कर दी थी. वह जेएनयू छात्र संघ का हिस्सा भी रहे. इमरजेंसी के दौरान वह जेल गए. लगभग 5 दशकों तक अपने राजनीतिक जीवन में वह वामपंथी राजनीति की धुरी रहे. उन्हें वामपंथी दलों को गठबंधन की राजनीति में लाने का श्रेय भी दिया जाता है. मनमोहन सिंह की 1 और 2 सरकार में उन्होंने वामपंथी दलों को सरकार का हिस्सा बनाने के लिए राजी किया था. तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे श्री येचुरी 2005 से 2017 तक राज्यसभा सांसद रहे.
साल 2015 में उन्हें सीपीएम के महासचिव पद की जिम्मेदारी मिली थी. इसके अलावा साल 2016 में वह राज्यसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में भी सम्मानित किये गए थे. सेकुलरिज्म, आर्थिक समानता जैसे विषयों को लेकर वह आजीवन मुखर रहे और इन मुद्दों पर खुलकर अपने विचार रखे. यदि उनके प्रारंभिक जीवन की बात की जाए तो येचुरी 12 अगस्त 1952 को मद्रास में पैदा हुए थे. वह एत तेलुगु ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते थे. उनके पिता आंध्र प्रदेश रोडवेज में इंजीनियर के पद पर थे वहीं उनकी मां भी एक सरकारी अधिकारी थीं. हैदराबाद में वह बड़े हुए और दसवीं तक हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाई स्कूल में पढ़ाई की.
सीताराम ने इसके बाद दिल्ली का रुख किया और उच्च शिक्षा जेएनयू और डीयू से हासिल की. दिल्ली विश्विद्यालय से उन्होंने इकॉनमिक्स में बीए ऑनर्स की डिग्री ली और जेएनयू से अर्थशास्त्र में ही एमए किया. वह अर्थशास्त्र में पीएचडी भी करना चाहते थे लेकिन इमरजेंसी के दौरान वह आंदोलन का हिस्सा बन गए. आंदोलन में उन्हें जेल जाना पड़ा और राजनीति से पूरी तरह अलग हो गए. सीताराम येचुरी के कांग्रेस , आरजेडी सहित कई दलों के साथ अच्छे रिश्ते थे. वह समान विचारधारा वाले दलों को साथ लाने की हमेशा कोशिश करते रहे.