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India Daily

वायनाड में लैंडस्लाइड पीड़ितों का फूटा गुस्सा, पुनर्वास में देरी से मचा हाहाकार

केरल के पर्वतीय जिले वायनाड में जुलाई 2024 में हुई भूस्खलन की घटना के पीड़ितों के पुनर्वास में कथित देरी की निंदा करते हुए इसके विरोध में जिले के चूरलमाला में जुलूस निकाल रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस द्वारा रोके जाने पर स्थिति तनावपूर्ण हो गयी.

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Edited By: Anvi Shukla
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Courtesy: social media

केरल के वायनाड जिले में लैंडस्लाइड के कारण प्रभावित हुए लोगों ने पुनर्वास प्रक्रिया में देरी को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. प्रभावित परिवारों का कहना है कि महीनों बीत जाने के बावजूद उन्हें पुनर्वास की कोई ठोस योजना या राहत नहीं मिली है. इस प्रदर्शन में शामिल लोगों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और तत्काल राहत की मांग की.

लैंडस्लाइड से हुई तबाही: वायनाड जिले में पिछले कुछ महीनों में भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइड  की घटनाएं बढ़ी हैं. इन लैंडस्लाइड ने कई घरों को तबाह कर दिया और आसपास के इलाकों में भारी क्षति पहुंचाई. लाखों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है, और कई लोग बेघर हो गए हैं. इस प्राकृतिक आपदा ने लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, लेकिन राहत और पुनर्वास के मामले में प्रशासनिक स्तर पर पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं.

प्रदर्शन में शामिल लोगों की मांगें:

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से तत्काल पुनर्वास की मांग की. उनका कहना है कि लैंडस्लाइड  में प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वासित किया जाए, जहां उन्हें रहने और पुनर्निर्माण के लिए उपयुक्त संसाधन मिल सकें. प्रदर्शनकारी यह भी चाहते हैं कि सरकार उन्हें अस्थायी आवास उपलब्ध कराए और उनके लिए रोजगार के अवसर भी सुनिश्चित किए जाएं.

स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया:

स्थानीय प्रशासन ने घटना के बाद कई राहत कार्य शुरू किए थे, लेकिन पुनर्वास की प्रक्रिया में देरी को लेकर स्थानीय लोग काफी परेशान हैं. प्रशासन का कहना है कि लैंडस्लाइड  के कारण प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन पुनर्वास कार्य जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा. प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया है कि प्रभावित परिवारों को मदद पहुंचाने के लिए सभी संभव कदम उठाए जाएंगे.

वायनाड के लैंडस्लाइड  पीड़ितों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया कि पुनर्वास में देरी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण प्रभावित लोगों की स्थिति कठिन होती जा रही है. प्रशासन के लिए यह एक चुनौती है कि वह जल्द से जल्द राहत कार्यों को पूरा करे और पीड़ितों को उनकी जमीन और आश्रय वापस दिलवाए. इस मुद्दे पर लोगों की भावनाओं को समझते हुए सरकार को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है.