हरियाणा में अगले महीने विधानसभा का चुनाव होना है. विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में कांग्रेस के शासनकाल के कुछ ऐसे घोटाले सामने आए हैं जो हरियाणा में कांग्रेस की वापसी की राह में रोड़ा अटका सकते हैं.
हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में कई ऐसे घोटाले हुए जिनमें गरीबों और कमजोर वर्गों के हितों की अनदेखी करते हुए ताकतवर लोगों को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे. उस दौर में कई भूमि अधिग्रहण और संसाधन वितरण में अनियमितताओं की खबरें आईं जो पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं.
हरियाणा में कांग्रेस के कार्यकाल में हुए भूमि घोटाले
ताकतवरों को सौंप की गरीबों की जमीनें
कांग्रेस के शासनकाल में कमजोर और गरीब किसानों की जमीनों को छीनकर प्रभावशाली और बड़े निगमों को फायदा पहुंचाया गया. उदाहरण के तौर पर मानेसर के IMT घोटाले में 912 एकड़ जमीन को संदिग्ध तरीके से अधिग्रहित किया गया. यह घटना बताती है कि किस तरह से जोर-जबरदस्ती के दम पर नियमों की अनदेखी करते हुए लोगों की संपत्तियों को हथियाया गया.
गरीबों को आवंटित किए गए घरों में भी धांधली
कांग्रेस को जब और जहां भी मौका मिला उसने गरीबों से उनका हक छीनने की कोशिश की.
अनुसूचित जाति के लिए निर्धारित आवासीय भूखंडों में भी धांधली का मामला सामने आया, जहां एक ही परिवार के 129 सदस्यों को गलत तरीके से भूखंड आवंटित कर दिया गया. यह घोटाला बताता है कि कैसे सरकार ने सत्ता का दुरुपयोग कर कमजोर वर्ग के अधिकारों का हनन किया.
पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जा
कांग्रेस के राज में पानीपत के नामरहा गांव में पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया. इस अवैध कब्जे से स्थानीय समुदायों को बड़ी समस्या झेलनी पड़ी.
रिलायंस इंडस्ट्री और अन्य भूमि घोटाले
कांग्रेस के शासनकाल में हरियाणा में हुए घोटालों की एक लंबी लिस्ट है. रिलायंस इंडस्ट्री से जुड़े घोटाले में झज्जर-गुड़गांव क्षेत्र में 25,000 एकड़ जमीन को बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर बेच दिया गया. इसी तरह वजीराबाद में डीएलएफ को जमीन की बिक्री, मनोरंजन पार्क घोटाला और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी घोटाले ने कांग्रेस शासन में भूमि के दुरुपयोग को उजागर किया.
रोजगार देने में भी धांधली
यही नहीं कांग्रेस ने रोजगार देने में भी धांधली की. हुड्डा सरकार में नौकरियों में भी विशेष समुदाय को अवसर दिए गए. 'खर्ची-पर्ची' के तहत मोटा पैसा देने वालों को नौकरी दी जाती थी और अपने चहेतों को इसका लाभ पहुंचाया जाता था. इस प्रकार की व्यवस्था ने पात्र लोगों को रोजगार के अवसर से वंचित कर दिया.
न्याय को तरसी जनता
हुड्डा सरकार में एक समुदाय को विशेषाधिकार दिए गए जिससे उनके खिलाफ किसी भी कानूनी कार्रवाई की संभावना कम हो गई. जनता में डर और असुरक्षा का माहौल तैयार किया गया. आम आदमी न्याय के लिए तरसता दिखा.