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रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर तैयारियां तेज, जानें राम मंदिर ट्रस्ट ने क्या अहम जानकारी की साझा?

BJP के दिग्गज नेता, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.

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Edited By: Avinash Kumar Singh
Ram Mandir Pran Pratishtha

हाइलाइट्स

  • रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आडवाणी और जोशी नहीं लेंगे हिस्सा
  • 22 जनवरी को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

नई दिल्ली: रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह की सभी तैयारियां जोरों पर हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल 15 जनवरी तक तैयारियां पूरी हो जाएंगी. 22 जनवरी को भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के बाद अगले ही दिन यानी 23 जनवरी से ही जनता को भगवान राम के दर्शन की अनुमति दे दी जाएगी. मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर पीएम मोदी, RSS सर संघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल और सभी ट्रस्टी राम मंदिर के प्रांगण में उपस्थित रहेंगे. इसके अलावा कई अन्य गणमान्य भी राम मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे. 

लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी नहीं लेंगे हिस्सा 

BJP के दिग्गज नेता, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. मंदिर ट्रस्ट की ओर से संबंध में जानकारी साझा की गयी है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा "आडवाणी और जोशी से अनुरोध किया गया था कि वे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम में शामिल न हो. लाल कृष्ण आडवाणी जिनकी उम्र 96 साल और मुरली मनोहर जोशी जो कि 90 वर्ष के हो जाएंगे उनसे उम्र और स्वास्थ्य के आधार पर अनुरोध किया गया था कि वे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न हों. दोनों ने इस अनुरोध को स्वीकार भी कर लिया है."

कार्यक्रम में चार हजार संत लेंगे हिस्सा 

श्री राम जन्मभूमि तीरथ क्षेत्र ट्रस्ट ने अगले वर्ष 22 जनवरी को दोपहर से 12:45 बजे के बीच राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला को विराजमान करने का निर्णय लिया है. इस दौरान विभिन्न परंपराओं के 150 साधु-संतों और छह दर्शन परंपराओं के शंकराचार्य सहित कुल 13 अखाड़े इस भव्य आयोजन में भाग लेंगे. कार्यक्रम में करीब चार हजार संतों को आमंत्रित किया गया है. इसके अलावा 2,200 अन्य अतिथियों को भी निमंत्रण भेजा गया है. काशी विश्वनाथ और वैष्णोदेवी जैसे प्रमुख मंदिरों के प्रमुखों और धार्मिक और संवैधानिक संस्थानों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है.