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आखिर क्यों अनशन पर बैठे हैं 3 इडियट्स के रियल लाइफ 'फुंसुख वांगडू', लद्दाख के लिए कर रहे खास डिमांड

Real Life Phunsukh Wangdu form Ladakh: लेह-लद्दाख में इस समय विरोध प्रदर्शन चल रहा है. यहां के रियल लाइफ फुंसुख वांगडू धरने पर बैठे हैं. उनके साथ सैकड़ों लोग -12 डिग्री तापमान में दिन-रात गुजार रहे हैं.

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Edited By: India Daily Live
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Real Life Phunsukh Wangdu form Ladakh: लद्दाख में छह मार्च से विरोध प्रदर्शन चल रहा है. ये विरोध प्रदर्शन 3 इडियट्स के रियल लाइफ 'फुंसुख वांगडू' कर रहे हैं. लद्दाख के इस इस 'फुंसुख वांगडू' का नाम सोनम वांगचुक है. वांगचुक पर्यावरण कार्यकर्ता है. जो 6 मार्च से लेह लद्दाख में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. समुद्र तल से 3,500 मीटर ऊपर सैकड़ों लोगों की एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ऐलान किया था कि वे 21 दिनों का अनसन करेंगे. 

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, वांगचुक का प्रदर्शन 13वें दिन में प्रवेश कर गया. प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा के उपायों, औद्योगिक और खनन लॉबी से ईको सिस्टम को होने वाले नुकसान से सुरक्षा की मांग कर रहे है. 

-12 डिग्री सेल्सियस में भूखे सोए 250 लोग

लद्दाख के इंजीनियर और टीचर वांगचुक ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर की. इसमें उन्होंने विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले लोगों का धन्यवाद किया. साथ ही लिखा कि लद्दाख के पर्यावरण और आदिवासी स्वदेशी संस्कृति की रक्षा के लिए भारत सरकार को उनके वादों की याद दिलाने के लिए -12 डिग्री सेल्सियस में 250 लोग भूखे सोए. 

यहां के लोग सरकार भारत को 'लोकतंत्र की जननी' कहते हैं, लेकिन अगर भारत लद्दाख के लोगों को लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करता है, तो इसे केवल लोकतंत्र की सौतेली मां कहा जा सकता है. 

वांगचुक क्यों कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन? 

इस महीने की शुरुआत में लेह में वांगचुक ने एक सभा को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने भारत सरकार से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और लद्दाख को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी. 

वांगचुक ने कहा था कि कई बैठकों के बाद भी सरकार अपने वादों से पीछे हट गई है. यहां की स्थिति को देखते हुए सरकार काफी हल्के अंदाज में बात कर रही है. वांगचुक ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के लद्दाख हिल काउंसिल के लिए अपने घोषणापत्र में छठी अनुसूची के तहत लद्दाख की सुरक्षा का उल्लेख किया था. 

21 दिन ही क्यों?

वांगचुक ने कहा कि उपवास चरणों में होगा, जिसके प्रत्येक चरण में 21 दिन होंगे. ये 21 दिन इसलिए हैं क्योंकि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी 21 दिन का उपवास रखा था. मैं महात्मा के रास्ते पर चलना चाहता हूं जहां हम खुद को दर्द पहुंचाते हैं ताकि हमारी सरकार और नीति निर्माता हमारे दर्द को पहचानें.