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Rg Kar Case: 'गैंगरेप के एंगल से जांच और केस डायरी पेश करें', आर जी कर केस में कोलकाता HC ने CBI को दिए आदेश

कोलकाता हाई कोर्ट की यह सुनवाई इस मामले की जांच में नए सवाल खड़े करती है और यह सुनिश्चित करती है कि दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. CBI को इस मामले में आगे की जांच करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं, और हाई कोर्ट की निगरानी में जांच की प्रक्रिया जारी रहेगी.

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Edited By: Mayank Tiwari
कोलकाता हाई कोर्ट
Courtesy: Social Media

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता का आरजी कर अस्पताल पिछले कुछ समय से काफी चर्चा में है. इस बीच कोलकाता हाई कोर्ट ने सोमवार (24 मार्च) को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से RG कर अस्पताल में काम कर रही महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या से जुड़ी केस डायरी पेश करने को कहा है. इस दौरान कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या एजेंसी गैंग रेप और सबूत नष्ट होने की संभावना की जांच कर रही है?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता के माता-पिता, जिन्होंने मामले की कोर्ट-मॉनिटर जांच की अपील की थी, उनका कहना था कि CBI ने चार्जशीट दाखिल करते समय एक बड़ी साजिश का संकेत दिया था. उन्होंने मामले की और जांच की मांग की. इस दौरान जस्टिस तिर्थंकर घोष ने कहा कि उनकी अपील की समीक्षा जांच की स्थिति और "सीबीआई द्वारा पेश की जाने वाली स्थिति रिपोर्ट" के आधार पर की जाएगी. कोर्ट ने CBI को आगामी सुनवाई में 28 मार्च को केस डायरी पेश करने का आदेश दिया.

गैंग रेप और साक्ष्य नष्ट की जांच की जरूरत

इसके अलावा, कोलकाता हाई कोर्ट ने CBI से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि क्या वह अपनी आगे की जांच में गैंग रेप और साक्ष्य विनाश की संभावनाओं की जांच कर रही है. दरअसल, डॉक्टर का शव 9 अगस्त, 2024 को उत्तर कोलकाता स्थित राज्य सरकार के अस्पताल के सेमिनार रूम में पाया गया था. कई जनहित याचिकाओं के बाद, हाई कोर्ट ने मामले की जांच कोलकाता पुलिस से CBI को सौंप दी थी.

अपराधी की पहचान और आगे की जांच

कोलकाता पुलिस ने संजय रॉय, एक पूर्व नागरिक स्वयंसेवक, को गिरफ्तार किया था और रेप और हत्या के आरोप में सजा दी थी. वहीं, जनवरी में, एक सत्र अदालत ने उसे दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इस दौरान जस्टिस घोष ने डिप्टी सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि क्या सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 70 (गैंग रेप) को लागू करने पर विचार किया था.

चूंकि एक व्यक्ति पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है, कोर्ट ने पूछा कि क्या CBI को लगता है कि यह अपराध अकेले एक आरोपी ने किया था या इसमें कई संदिग्ध शामिल थे. अगर यह गैंग रेप था, तो कोर्ट ने अन्य संदिग्धों के बारे में सवाल किया.

CBI की धीमी जांच और क्या हैं कानूनी जटिलताएं?

याचिकाकर्ताओं के वकील ने CBI की जांच की प्रक्रिया की आलोचना करते हुए अदालत से प्रगति रिपोर्ट की मांग की. पश्चिम बंगाल सरकार के वरिष्ठ वकील कल्याण बनर्जी ने कहा कि राज्य को आगे की जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने ये साफ किया कि क्या यह कानूनी रूप से सही होगा, खासकर तब जब दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा पहले ही हो चुकी हो.

उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या ट्रायल कोर्ट के पास जांच को फिर से खोलने का अधिकार है. बनर्जी ने CBI पर धीमी जांच करने का आरोप लगाया, जबकि DSG ने एजेंसी का बचाव करते हुए कहा कि उसके खिलाफ निराधार आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए.