Kolkata Misdeed Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में MBBS फोर्थ ईयर की 24 साल की छात्रा ने कहा कि हमारे छात्रावास में अब केवल 17 महिलाएं हैं. 9 अगस्त से पहले यहां अलग-अलग कोर्सेज की 160 जूनियर महिला डॉक्टर रहती थीं. इसी अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. जूनियर डॉक्टरों के अनुसार, नर्सिंग हॉस्टल के अलावा आरजी कर मेडिकल कॉलेज के लगभग सभी हॉस्टल खाली पड़े हैं.
पलायन की शुरुआत 9 अगस्त को ही हो गई थी, जब संस्थान के सेमिनार रूम में जूनियर डॉक्टर का शव मिला था. MBBS स्टूडेंट ने कहा कि 9 अगस्त के बाद छात्रों ने कैंसप छोड़ना शुरू कर दिया. कुछ लोग कुछ दिनों बाद वापस लौट आए. लेकिन 14 अगस्त की रात को उपद्रवियों द्वारा अस्पताल पर हमला किए जाने के बाद, ज़्यादा छात्र, खास तौर पर लड़कियां कैंपस छोड़कर चली गईं. उन्होंने अस्पताल के गेट के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ की ओर से अस्पताल के एक हिस्से में की गई तोड़फोड़ का भी ज़िक्र कियाय
आरजी कर अस्पताल परिसर में महिला डॉक्टरों और छात्राओं के लिए पांच छात्रावास हैं. 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की ओर से पेश सीनियर वकील अपराजिता सिंह ने कहा था कि 14 अगस्त की बर्बरता के बाद लगभग 700 रेजिडेंट डॉक्टरों में से केवल 30-40 महिला डॉक्टर और 60-70 पुरुष डॉक्टर ही परिसर में रह रहे हैं.
MBBS के दूसरे साल की एक छात्रा ने कहा कि हम उस रात (14 अगस्त) इतने डरे हुए थे कि हम इसे बयां नहीं कर सकते. यहां विरोध करने आई कई महिला नर्स और डॉक्टर भीड़ के हमले के बाद हमारे हॉस्टल की ओर भागीं और हमारे साथ रात भर रुकीं. हममें से कोई भी उस रात सो नहीं सका.
इस घटना पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की खिंचाई की और पूछा कि जब अस्पताल में भीड़ जमा हो गई, प्रदर्शनकारियों पर हमला किया और परिसर में तोड़फोड़ की, तो पुलिस क्या कर रही थी? इसके बाद बेंच ने सीआईएसएफ को अस्पताल को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया. भीड़ की हिंसा के सिलसिले में अब तक 37 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब कैंपस में 150 सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती के बाद मेडिकल छात्रों ने कहा कि कुछ छात्र अपने छात्रावासों में लौट सकते हैं, लेकिन वे इस बारे में निश्चित नहीं हैं. पुरुलिया के एक अन्य एमबीबीएस छात्रा ने कहा कि अस्पताल में सीआईएसएफ के जवानों को तैनात किया गया है. अब हम काफी सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. लेकिन जब तक जांच एजेंसी सभी दोषियों को गिरफ्तार नहीं कर लेती, तब तक हम पूरी तरह सुरक्षित कैसे महसूस करेंगे? मैं अस्पताल में काम नहीं करना चाहता, जहां मेरे बगल में बलात्कारी और हत्यारे खड़े हों.
दूसरी ओर, नर्सों ने कहा कि भले ही वे डरी हुई हैं, लेकिन उनके पास हॉस्टल में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. डॉक्टर अपनी ड्यूटी छोड़ सकते हैं या पुरुष डॉक्टर किसी महिला सहकर्मी की ड्यूटी कर सकते हैं, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज कैंपस में दो नर्सिंग हॉस्टल हैं. सभी लगभग भरे हुए हैं क्योंकि हमें अपनी ड्यूटी करनी है. ऐसी डरावनी घटनाओं के बाद भी, हम रात की ड्यूटी कर रहे हैं और कभी-कभी हम खुद को वार्ड में अकेले पाते हैं. अब हम वास्तव में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
कुछ महिला जूनियर डॉक्टर, जो यहीं रह गई हैं, ने कहा कि उनके माता-पिता चाहते हैं कि वे वापस आ जाएं. एक मेडिकल छात्रा ने कहा कि मैंने आंदोलन का समर्थन करने के लिए यहीं रहने का फैसला किया है. हमारे बिना, न्याय की लड़ाई कैसे चल सकती है? इस लड़ाई को जारी रखना ज़रूरी है ताकि भविष्य में मेरे या किसी अन्य महिला डॉक्टर या छात्रा के साथ ऐसा न हो.